Book Title: Varddhaman Mahavira
Author(s): Nirmal Kumar Jain
Publisher: Nirmalkumar Jain

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Page 81
________________ विकट हो चली है इसका अन्दाजा इमी वान मे लगाया जा सकता है इंगलैंड आदि यगंपिय देशों में चल-विद्या (Witch-craft) विट विद्यालयों में विषय बनाई गई है और बहुन मे युवक और यवनियां: जान को जिन करने के लिए और पदार्थों की म्हों को कब्जे में करने लिये नरह- के रहस्यमय मार्गों पर लगे हुए है। मम्भवतः महावीर पश्चान् कंवल फ्रायड और जुग ही ऐसे विचारक हा जिन्होंने टन वा को अंधविश्वास कहकर इन पर मोचने से इंकार नही किया बल्किड मष्टि में इनकी मही जगह पर रखा जिसमे मनग्य की चेतना इन भयभीन या अम्न न हो और न इनमें मोहित हो। इम मंदर्भ में । आवश्यक है कि हम महावीर के विचारों कोममनं क्योंकि अब नई पी. को अंधविश्वामों की गहराई में उनग्ने मे नहीं रोका जा सकता । आ मनप्य की चेतना वह नहीं है जो दस वर्ष पूर्व थी। आज यह कह देना यह अंधविश्वाम है पर्याप्त नहीं है किमी को किमी चीज़ मे हटान: लिए। आज मनप्य की चेतना दूसरे प्रश्न कर रही है। वह पूछनी है यह अंधविग्वाम क्यों मामूहिक रूप में हमारी चेतना पर बैठा है ? आ से पहले लोग समझते थे कि अंधविश्वाम को अपनाना व्यक्ति की अपन भल है। परन्तु अब मनोविज्ञान ने बना दिया है कि बड़े-बड़े वद्धि मान वैज्ञानिकों के जीवन भी अनेकों एमे अंधविश्वामों में अम्न है ज उन्होंने स्वयं नहीं अपना रखे हैं। वे उनमे बचना चाहते हैं। वे जानने कि यह अंधविश्वाम है । परन्तु फिर भी अंधेरे घर की नग्ह व अंध विश्वाम म्वतः उनके अचेतन मे उठ आते हैं और उनके मन-मम्तिाक के मलिन कर देने है। ___ यही बात पदाथों के प्रति बढ़नी आमक्ति में निहित है। आज के दुनियां में अधिकाग लोग आन्मिक नव की श्रेष्ठता को मानते हैं वैगग्य भाव में प्रेरित होकर हजागें पारचान्य युवक और यवनिएं घर से निकल पड़े हैं बिना कोई पदार्थ माथ लिये । परन्तु उनमे बात करने पर पता चलता है कि पदार्थ का भून उनके अनन मे उठकर उन्हें जकड़ 70

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