Book Title: Varddhaman Mahavira
Author(s): Nirmal Kumar Jain
Publisher: Nirmalkumar Jain

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Page 98
________________ महावीर और नारी नीर्थकर महावीर का वह व्रत था या दिव्य संकेत था उम मुक्त, पुरुष का प्रथम आहार ग्रहण कम्गा उस नारी से जोहंम रही होगी निश्छल मल आवेग में और नयन झार रहे होंगे आंम् जिमके पग एक बाहर होगा और एक देहरी के भीतर अंग जकड़े होंगे लोह शृंखलाओं में क्या मंकेत कर रहा था परम पुरुप कि देखो नारी है किम अमानपिक दशा में कि चन्दनवाला ही नहीं, पनिन ममाज में मभी नारियें हो रही है बंधी चन्दनबाला मी मनम को जकड़े है अदृश्य वंद्रिय दुम्वों के झग्ने फुट रहे है नेत्रों में फिर भी कोमल हृदय जिनके हंम लेने है दुम्व में 87

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