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लेंगे और उसे आध्यात्मिक जागति का माधन बनायंगे नो फिर एक यिनि आयगी कि अविवाम पंदा होना बत्म हो जायगा । वे कारण ही शंप हो जायेंगे जिनमें मनग्य मनग्य पर अविश्वास करना है । मनाय जो भी करेगा वह अपनी दुर्जेय आत्मा वो जीतने के उद्देश्य में होगा। तब मनाय को मनग्य में पीटा हो सकती है पर अविश्वास नहीं जगेगा। अविश्वास का एकमात्र कारण यह है कि अधिकाग मनपर अपनी दुर्जय आत्मा को जीतने के लिये जीवन ममर में प्रवन नहीं होने वल्कि मकी निरकुग, अमानवीय पिराना गान करने के लिये आने है और इसके लिये उन्हें औगेका गोपण कग्ने, आगे कोदाम बनाने में जग भी लज्जा नहीं लगती। महावीर जानते है कि यह बहुत दूर की कल्पना है। ऐमा दिन मरिकल में ही आयेगा जब सभी मनाय जाग जाय । अनः उन्होंने गम्ना दिया उनको जो जाग रहे है । वे उन्हें सम्बोधित कर रहे है। चागे ओर मे बग्मने दम अविवाम में वृठिन मन होओ। म मोक्ष का माधन बनाओ। आओ में तुम्हें दम विप के उपयोग का तरीका मिवाना हूँ।
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