Book Title: Varddhaman Mahavira
Author(s): Nirmal Kumar Jain
Publisher: Nirmalkumar Jain

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Page 73
________________ लोभायनि शक्ति (Libido) का वशीकरण आज के मनोविज्ञान की मवमे बड़ी खोज है लोभायनिशक्ति। इम रूप में स्वयं रुद्र मनुष्य में उपस्थिन है। महावीर का अनगामन यद्यपि लोभायनिगक्ति का जिक्र नही करना परन्तु उमका मार इम शक्ति को नियंत्रित करने में है। एक वान महत्वपूर्ण है वह यह कि फ्रायड और जग ने लोभायनिशक्ति को जिम रूप में जाना महावीर उममे अधिक पहले ही व्यक्त कर चके है । यदि महावीर विचारधाग का आज का मनोवैज्ञानिक मनन कर नोवे उम निगगा और अमहायता में मक्त हो जायंगे जो फ्रायड और जग के चिन्तन ने उन्हें दी। इन्होने लोभायनिगक्ति को एक ऐसी जीवन इच्छा कहा है जिसमें जीवन इच्छा और मृत्य इच्छा दोनों है । जीवन के पूर्वाद्ध में जीवन इच्छा बलवती रहती है और उनगर्द्ध में मृत्यु इच्छा । इम विचारधाग के अनमार प्रौढता को प्राप्त होने के पश्चात् यह अवश्यंभावी है कि मनुष्य के विचार, कर्म और इच्छाए जीवन विरोधी हो जाये। इन्होंने लोभायनिशक्ति को एक भयानक मर्प के रूप में देखा जिम पर न तो चेतन काब पा सकता है न अचेतन । लोभायनिगवित को नियति या भाग्य भी कहा हे जिमके आगे मनग्य का वग नहीं चलना । यह चाहे तो दो मित्रों को मिला दे या चाहे मव को हमारे विरुद्ध कर दे। महावीर का दर्शन इसके विरुद्ध है । वे यह नहीं मानते कि जीवन के पूर्वार्द्ध में मनुष्य की जीवन इच्छा जीवन के पक्ष में होती है 62

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