________________
बौद्धिक शक्ति और कर्मशक्ति भगवान महावीर आज के युग में क्लान्त और उद्भ्रान्त मानव
को पथ दिवा सकते हैं। कारण यह है कि उनके विचार इस जीवनशक्ति का दमन करने को नही कहने । वे कहते है कि यह संभव है कि यह जीवनशक्ति स्वतंत्र रूप में एक और घाग का निर्माण करे जो बौद्धिक घाग की तरह पगिकृत और उसके ममानान्तर हो । जो बुद्धिजीवी और नैतिकतावादी और आदर्शवादी है उनके लिये उनका संदेश है कि तुम आधे मार्ग में रुक गये हो। उनमें उनका कहना है कि अपनी निराशा और क्षोभ के कारण तुम म्वयं हो। तुम्हे दम बान का दुःख है कि तुम जानने हो कि मन्य क्या है और मनग्य के कल्याण के लिये मही मार्ग कौनमा है परन्तु फिर भी लोग तुम्हारी बान नहीं मन रहे हैं। तुम भूल कर रहे हो । वे तुम्हारी बान कभी नही मनंगे क्योंकि जो वान करने की है वह तुम कह रहे हो । तुम्हें मन्य और नैतिकता कहनी नही है करनी है। केवल दम रूप में तुम उम मक्ष्मनल से मनुष्य की व्यवहारिक दुनिया में उनार मकने हो । यदि तुम यह ममझ लो कि बद्धि को पगिकृन कर लेने के पश्चात् अब तुम्हाग काम है जीवनगक्ति को भी परिष्कृत करना नो तुम जानोगे कि नपग्या का ममय नो अब आया है । जिम नग्ह नर्क और नि:स्वार्थ निप्पक्ष मन्यचिन्तन करके तुम्हाग मस्तिष्क कितने ही अनचित विचारों और विवादों मे मुक्त हुआ उमी नग्ह मन्य पर आचरण करके तुम्हारी जीवनशक्ति कितनी ही अनुचित जीवन गक्तियों के दुगग्रह में मुक्न हो सकनी है।बोध या ज्ञान केवल बुद्धि के हीनल पर नहीं होता । एक और ज्ञान है जो सांसो के तल पर, बल के नल पर, वीर्यम् के तल पर होता
27