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वाचक
बने आत्मानुप्रेक्षक
'श्रीपाल कथा अनुप्रेक्षा' पुस्तक चिंतन-नवनीत है । अपनी आत्मा के साथ तुलना-दर्शन करने के
लिए चिंतन है। हमारे जीवन में आनेवाले प्रसंगो में हमारी मनोस्थिति
और प्रकृति कैसी रहती है ? और उंबर-श्रीपाल की कैसी है। इसका चिंतन वाचक को करना है ।
इससे ...यह पुस्तक एक ही बैठक में पढ़ लूँ और बाजू पर रख दूँ, ऐसा विचार मत कीजिएगा, परन्तु यह पुस्तक...
ध्यानपूर्वक चिन्तनपूर्वक आत्मतुलनापूर्वक
पढ़ने का आग्रह रखिएगा।