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श्रीपाल कथा-प्रसंग-नामावलि संक्षिप्त में
राजगृही–गौतम स्वामी आगमन-श्रेणिक वंदनार्थे गमन-देशना प्रारंभ-नवपद महिमा-श्रीपाल जैसे-कौन श्रीपाल? • भरतक्षेत्र-मालवदेश-उज्जयनी नगरी-प्रजापाल राजा-दो राणी १) सौभाग्यसुंदरी : मिथ्याधर्मी-पुत्री सुरसुंदरी-पं.शिवभूति-परीक्षा-अरिदमनविवाहमुहूर्त पूछा-शुभ मुहूर्त गया-कोढिये को दिलाया शुभ मुहूर्त २) रुपसुंदरी : सम्यक्धर्मी-पुत्री मदनसुंदरी-पं. सुबुद्धि-परीक्षा-विवादकोढियो उंबर-रात में वार्तालाप-सुबह जिनमंदिर में-माला,बीजोरे का उछलना मयणा,उंबर का ग्रहण करना–पौषधशाला-मुनिचंद्रसूरि-कौन नरोत्तम ? - मयणा रुदन-सिद्धचक्र यंत्र उद्धरण-विधि सूचना-साधर्मिक भक्ति प्रेरणा-उंबर पूजा विधि अभ्यास -आ.सु.८-सिद्धचक्र आराधना-पहेले, नौंवे दिन शांति-कौशांबी से माता आगमन -रुपसुंदरी का रुदन-कमलप्रभा द्वारा परिचय-प्रजापाल द्वारा राजमहल मेंगाँववासीओ के शब्द • करवाल लेकर देशाटन के लिए-गीरी, चंपकवृक्ष के नीचे-जाप करता पुरुषसिद्धविद्य होना औषधि युगल-जलतारिणी शस्त्रनिवारीणी-तलेटी धातुवादीरससिद्धि-सर्व सुवर्णदान-नही लेना-वस्त्र के छोर पर बांधना • भृगुकच्छ-धवल-जहाज चलाया-देशाटन की इच्छा-धवल को वेतन का पूछना-१ हजार दिनार x १0000 भट्ट = दस क्रोड वेतन-आखिर में किराया तय कर के रत्नद्विप की ओर जाना १) बब्बरकुट जल-इंधन के लिए-महाकाल राजा-पुत्री मदनसेना लग्न-९ नाटक-६४ कूप स्थंभवाला यान पात्र भेंट में २) रत्नद्वीप-घुडसवार-रत्नसंचया नगरी-स्वर्णकेतु राजा-४ पुत्रो उपर-पुत्री मदनमंजूषा-महापूजा-वर चिंता-द्वार बंध-खुलना-कुल इत्यादि पृच्छाविद्याधर आगमन-देशना-श्रीपाल परिचय-जिनमंदिरे भ्रूविभ्रम-तात तुल्य-यान चलना-मात्सर्य-समुद्र क्षेप
श्रीपाल कथा अनुप्रेक्षा