Book Title: Shripal Katha Anupreksha
Author(s): Naychandrasagarsuri
Publisher: Purnanand Prakashan

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Page 44
________________ 2. क्या बनना है ? श्रीपाल, धवल या अजितसेन श्रीपाल कथा में तीन महत्त्वपूर्ण पात्र है, श्रीपाल, धवल और अजितसेन । इन तीनों के विषय में विचार कर हम किस पात्र के भावों में जी रहे है, यह हमें ही निश्चित करना है । श्रीपाल : जन्मजात गुणवान है । उन्होंने कभी किसी को कष्ट, दुःख नहीं दिया । अपना सब चला गया पर मन में खेद, दुःख या दीनता नहीं है । वर्तमान परिस्थिति का स्वीकार है । अपने कारण किसी को दुःख मिले यह उनके लिए असहनीय है । दुनिया में कोई मुझे दुःख देता नहीं है, सब मेरे उपकारी है, ऐसा उनका मानना है इसलिए धवल और अजितसेन दोनो उपकारी लगते हैं । किसी के प्रति इर्ष्या, द्वेष आदि नहीं है । जो जन्म से गुणवान है, वह दुश्मन को भी उपकारी मानता है । निःस्वार्थ भाव, सरलता, हर परिस्थिति का हँसते मुँह स्वीकार करना, ये गुण जिसमें है वो श्रीपाल की फ्रेम मे फीट हो सकता है। अब बात है धवल और अजितसेन की... दोनो पात्र दुर्जन है । श्रीपाल को जान से मारने और उनका सब छिन लेने का दुष्ट भाव दोनों मे है । आर्तध्यान से भी आगे बढ़कर जान से मारने का रौद्रध्यान दोनों ने किया है । धवल ने तीन बार जान से मारने की योजना बनाई । 1228 श्रीपाल कथा अनुप्रेक्षा

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