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धवल की मृत्यु से पूरा नगर खुश है, नगर में से पाप गया, ऐसा मानते है । श्रीपाल बालक के जैसे रोते है ।
धवल की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति और जहाजों को सौंपने के लिए धवल के पुत्र की खोज करते है और सब उन्हें सुपुर्द कर देते है ।
श्रीपाल जब अपने साम्राज्य के मालिक बनते है, तब धवल के पुत्र को बुलाकर नगर सेठ की पदवी देते है ।
दोनो में से हमे कौन पसंद है ? हमारी वृत्ति कैसी है ? उपकारी का छोटा भी उपकार भूलना नहीं, यह नैतिक दृष्टि से अच्छी बात है पर...
महाअपकारी को भी उपकारी मानकर सतत उपकार करते रहना श्रीपाल वृत्ति है।
उपकारी पर अपकार करना धवल वृत्ति है। हम कैसे है ? अपकारी को भी उपकारी मानना श्रीपाल जैसी उत्तम वृत्ति है । उपकारी को उपकारी मानना मध्यम वृत्ति है ।
उपकारी को हैरान परेशान करना, अपकार करना धवल जैसी अधम वृत्ति है।
श्रीपाल कथा के माध्यम से अपना जीवन दर्शन कर अपनी मनोवृत्ति पहचानना है, और उसमें योग्य सुधार करना है ।
उपकारी का उपकार मानना यह व्यवहार है । अपकारी का उपकार मानना यह धर्म है ।
श्रीपाल कथा अनुप्रेक्षा