Book Title: Samyaktva Prakaran
Author(s): Punyakirtivijay
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 15
________________ ८१० ८११ ४०९ ८१२ ८१३ ___२१ १३ २२९. आव. नि. __१४ | २४५.आचा. नि. २३०. प्रव. सा. | २४६.आचा. नि. २३५. वि.आ.भा. २४७.आचा. नि. जीव. स. २४८.आव. नि. पञ्च. सं. | २४९. नवतत्त्वप्रव. सा. .. १३०३ वि. आ. भा. २३६. उत्तरा. १३८१ प्रव. सा. . प्रव. सा. १३०१ | २५३. प्रव. सा. २४३.सं. प्र. स. अ. ४४ | २५५. धर्म सं. २४४.सं. प्र. स. अ. ४५ | २५६. धर्म सं. . ८१३ २२० | २५७. धर्म सं. २५८. धर्म सं. २२२ २५९. धर्म सं. ११५१ २६०. धर्म सं. | २६१. धर्म सं. २०३६ प्रव. सा. ३५, ९४२ सं. प्र. सु. गु. अ. ९३६ | २६४.सं. प्र. सु. गु. अ. ८०८ ओ. नि. ८०९ | प्रव. सा. ५५१ २३० २३१ ५६२ તુલના માટે ઉપયોગમાં લેવાયેલ ઉપર રજુ કરેલ ગ્રન્થોનાં સંક્ષિપ્ત નામોની સંજ્ઞાસૂચિ: आ.नि. आचारांग नियुक्ति धर्म सं. धर्म संग्रहणी सं.प्र.कु.गु. अ. संबोध प्रकरण कुगुरुस्वरूप अधिकार आव. नि. आवश्यक नियुक्ति धर्म र. धर्मरत्न प्रकरण सं. प्र. दे. स्व. अ. संबोध प्रकरण देवस्वरूप अधिकार आव. भा. आवश्यक भाष्य प्रव. सा. प्रवचन सारोद्धार सं.प्र. श्रा. अ. संबोध प्रकरण श्रावक अधिकार उत्तरा. उत्तराध्ययन सूत्र पि.नि. पिंडनियुक्ति सं.प्र. श्रा. व. अ. संबोध प्रकरण श्रावक व्रत अधिकार उप. पद उपदेश पद निशीथ. निशीथ भाष्य सं.प्र. स. अ. संबोध प्रकरण सम्यक्त्व अधिकार ओ. नि. ओघ नियुक्ति बृ. क. मा. बृहत्कल्प भाष्य सू. नि. सूत्रकृतांग नियुक्ति. चे.वं.म.भा. चैत्यवंदन महाभाष्य वि.आ.मा. विशेष आवश्यक भाष्य द.वै. दशवैकालिक . वि. वि. विंशति विंशिका અંતે આત્મલક્ષી બનીને શાંતચિત્તે આ ગ્રંથરત્નનું અધ્યયન મનન કરવામાં આવે અને એમાં દર્શાવેલ સર્વજ્ઞકથિત માર્ગે શક્તિ મુજબ ચાલવામાં આવે કે જેથી જરૂર મિથ્યાત્વની મંદતા, સમ્યકત્વ, સર્વવિરતિ અને અપ્રમત્તદશા વગેરે ગુણસ્થાનકોની પ્રાપ્તિ સુલભ બને પરિણામે સર્વકર્મનો ક્ષય કરી આપણો સૌનો આત્મા સિદ્ધિપદનો ભોક્તા બને એવી શુભાભિલાષા સાથે વિરમું છું. વિ. સં. ૨૦૫૦ માગસર સુદ ૫ વર્ધમાન તપોનિધિ, પૂજ્યપાદ dl. १८-१२-८3, शनिवार મુનિરાજ શ્રી ગુણયશવિજયજી ગણિવરની આ શ્રી વિ.રામચન્દ્રસૂરિ આરાધના ભવન | વિનેય મુનિ કીર્તિયશવિજય ગણી गोपीपु२१, सुरत. (वर्तमानमा बने सूरिव२)

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