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कर्म-क्षेत्र के धन्य वीर वे,
जो पहले आगे आते तो लाखों अनुयायी, बिना धुलाये आ जाते
हैं।
पीछे
हैं।
कल क्या थे, यह नहीं सोचना,
सोचो अभी बनोगे ले अतीत से उचित प्रेरणा,
निज भवितव्य घड़ोगे
क्या ?
क्या ?
संकल्पों
है।
अच्छे
से और और जग
उठता मानव, उन्हीं से गिरता बुरे भावों का, में मेला भरता
कैसी भी स्थिति आये-जाये,
भाव नहीं गिरने शुभ की ज्योति बड़ी है जगमें,
- इसे नहीं बुझने
देना।
देना।
अच्छा होगा, सब-कुछ अच्छा,
अच्छा है यदि अन्तर्मन। शुभ मन पर आधारित वाणी
कर्मों का सब अच्छापन ॥
सागर, नौका और नाविक
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