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जो अपनी व्यक्तिगत कामनाओं, ईच्छाओं और वासनाओं में डूबे हैं, वे संसार में डूबे हैं। जो वासना, एवं आसक्ति से ऊपर नहीं उठ पाते, वे संसार-प्रवाह में तैर नहीं सकते। जो तैर ही नहीं सकते, वे किनारे पर पहुँच नहीं सकते। अतः वे संसार से पार भी नहीं हो सकते हैं।
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