Book Title: Sagar Nauka aur Navik
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 250
________________ "जयं भंजन्तो........पावकम्मं न बन्धइ।" स्वस्थ शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता है। अतः विवेक-पूर्वक भोजन करना पाप नहीं है। किन्तु, ध्यान रखना है-- भोजन ही जीवन का लक्ष्य न बन जाए। पेट अन्य प्राणियों की कब्र न हो जाए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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