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धन्य धन्य हैं वे नारी-नर,
कर्म-निरत है जिनका जीवन । निज-पर का कल्याण-हेतु है,
कर्म-योग का पथ अति पावन ।।
जिस की जड़ में ज्ञान रहा है,
और अन्त में जनहित फल है। वह ज्योतिर्मय कर्म-योग है।
जहाँ अमंगल भी मंगल है।
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