Book Title: Sagar Nauka aur Navik
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 262
________________ दीक्षा दीक्षा का पथ असिधारा है, विरले ही चल पाते जो चलते हैं आत्मदेव के दर्शन वे कर पाते हैं। हैं। कब का सोया अन्दर में वह देव, जगाना है धन्य धन्य वह, दीक्षा की यह अर्थ-चेतना है उस को। जिसको॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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