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दीक्षा
दीक्षा का पथ असिधारा है,
विरले ही चल पाते जो चलते हैं आत्मदेव के
दर्शन वे कर पाते
हैं।
हैं।
कब का सोया अन्दर में वह
देव, जगाना है धन्य धन्य वह, दीक्षा की यह
अर्थ-चेतना है
उस
को।
जिसको॥
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