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सेवा,
सका ।
धन दौलत पाकर पाकर भी अगर किसी को कर न दया भाव ला दुःखित दिल के - जख्मों को जो भर न सका ॥ वह नर अपने जीवन में, सुख-शान्ति कहाँ से पाएगा? ठुकराता है, जो औरों को, स्वयं ठोकरें
खाएगा ॥
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