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"अन्नं ब्रह्मेति व्यजानात्।"
-यह अच्छी तरह से जान लीजिए कि अन्न ही ब्रह्म है।
आत्मा की खोज अलौकिक अन्तर्ब्रह्म की है। और शरीर की खोज अन्न-ब्रह्म की है। यद्यपि दोनों ही ब्रह्म को जानना आसान नहीं है। पर, अन्न-ब्रह्म की खोज विश्व के समस्त शरीरधारी प्राणियों की है।
अतः अन्तर्ब्रह्म की खोज में इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती।
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