Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 10
________________ साधुसाध्वी - OURRAHIMIRISASIRIRICHI * कालेन कओ सज्झाओ, असज्झाइए सज्झाइअं, सज्झाइए न सज्झाइअंतस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥ नमो चउ-पतिक्रमण वीसाए तित्थयराणं, उसभाइ महावीर पजवसाणाणं, इणमेव निग्गंथं पावयणं सच्चं, अणुत्तरं, केवलिअं, सूत्र. पडिपुन्नं, नेआउअं, संसुध्धं,सल्लगत्तणं, सिधिमग्गं,मुत्तिमग्गं, निजाणमग्गं निव्वाणमग्गं,अवितहमविसंधि : 8 सव्वदुक्खप्पहीणमग्गं. इत्थंठिआजीवा सिझंति, बुझंति, मुचंति,परिनिव्वायंति, सव्वदुक्खाणमंतं करंति. | तं धम्मं सद्दहामि, पत्तिआमि, रोएमि, फासेमि, पालेमि अणुपालेमि, तं धम्म सद्दहतो, पतिअंतो, रोअंतो, ₹ फासंतो, पालंतो, अणुपालंतो तस्स धम्मस्स केवलिपन्नत्तस्स अब्भुष्ट्रिओमि आराहणाए विरओमि विराह*णाए. असंजमं परिआणामि, संजमं उवसंपज्जामि.अबंभं परिआणामि, बंभ उवसंपज्जामि.अकप्पं परिआPणामि, कप्पं उवसंप्पज्जामि. अन्नाणं परिआणामि, नाणं उवसंपज्जामि. अकिरिअं परिआणामि, किरिअं उवसंपज्जामि. मिच्छत्तं परिआणामि, सम्मतं उवसंपज्जामि. अबोहिं परिआणामि, बोहिं उवसंपज्जामि. अमग्गं परिआणामि, मग्गं उवसंपज्जामि. जं संभरामि, जं च न संभरामि. जं पडिकमामि, जं च न 8 पडिकमामि . तस्स सव्वस्स देवसिअस्स अइआरस्स पडिकमामि, समणोहं संजय-विरय-पडिहय-पच्च -ৰে- ৰসৰ-ৰসৰে- , Juin tuction inational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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