Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 54
________________ साधुसाध्वी ॥ २६ ॥ अजयं चरमाणां अ, पाणभूआई हिंसइ || बंधई पावयं कम्मं, तसे हाइ कडुअं फलं ॥ १ ॥ अजयं चिट्ठमाणो अ, पाणभूआई हिंसइ || बंधई पावयं कम्मं, तंसे होइ कडुअं फलं ॥ २ ॥ अजयं आसमाणो अ, पाणभूआई हिंसई ॥ बंधई पावयं कम्मं तं से हाइ कडुअं फलं ॥ ३ ॥ अजयं सयंमाणो अ, पाणभूआई हिंस || बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुअं फलं || ४ || अजयं भुजमाणो अ | पाणआई हिंसइ || बंधई पावयं कम्मं तं से होइ कडुअं फलं ॥ ५ ॥ अजयं भासमाणो अ, पाणभूआ हिंसह || बंध पावयं कम्मं तं से होड़ कडुअं फलं ॥ ६ ॥ कहं चरे कहं चिट्टे, कहमासे कहं सये ॥ कहं भुजतो भासतो, पावं कम्मं न बंधइ ? ॥ ७ ॥ जयं चरं जयं चिट्टे जयमासे जयं सये ॥ जयं भुजतो भाषतो पावं कम्मं न बंधइ ॥ ८ ॥ सव्वभूअप्पभूअस्स, सम्यं भूआई पासओ ॥ पहिआसवस्स दंतस्स, पावं कम्मं न बंधइ ॥ ९ ॥ पढमं नाणं तओ दया, एवं चिट्टः सव्वसंजए || अ-नाणी किं काही, किंवा नाही छेअं पावगं ॥ १० ॥ सोचा जाणइ कलाणं, सोच्चा जाणड़ पावगं ॥ उभयं पि जाणइ सोच्चा, जं सेअं तं समायरे ॥ जो जीवे विन याणेड़, अजीवे वि न याणेह || ११ ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only प्रतिक्रमण सूत्र. ॥ २६ ॥ www.jainelibrary.org

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