Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

View full book text
Previous | Next

Page 61
________________ 18 ॥ २९॥ नंदिययं ॥ थुअवंदिअस्सा रिसिगण-देवगणेहिं तो देववहुहिं पयओ पणमियस्सा । जस्स जगुत्तमसासणअस्सा भत्तिवसागयपिडियआहिं । देववरच्छरसा बहुआहिं । सुरवररइगुणपिंडियआहिं |॥ ३० ॥ भासुरयं ॥ वंससद-तंतितालमेलिए, तिउक्खराभिरामसदमीसए कए अ, सुइसमाणणे य सुद्ध | सज्जगीयपायजालघंटियाहिं । वलय-मेहलाकलाव-नेउराभिरामसहमसिए कए य ॥ देवनट्टिआहिं हाव । | भाव-विभमप्पगारएहिं नच्चिऊण अंगहारएहिं वंदिआ य जस्स ते सुविकमा कमा तयं तिलोयसव्वस| त्तसंतिकारयं । पसंतसव्वपाव-दोस-मेसहं नमामि मंतिमुत्तिमं जिणं ॥ ३१ ॥ नारायओ॥ छत्त-चामर | पडाग-जूअ-जवमंडिया-झयवर-मगर-तुरग-सिरिवच्छसुलंछणा ॥ दीव-समुद्द-मंदिर-दिसागयसोहिया सथिय-वसह-सीह-रह-चकवरंकिया (सिरिवच्छसुलंछणा)॥ ३२ ॥ ललिअयं ॥ सहाबलट्टा समइप्पइट्टा, अदोसदुट्ठा गुणेहिं जिट्टा । पसायसिट्ठा तवेणपुट्ठा, सिरिहिंइट्टा रिसीहिंजुट्ठा ॥ ३३ ॥ वाणवासिया ॥ | ते तवेण धुअसव्वपावया, सव्वलोगहियमूलपावया । संथुया आजिअ-संति पायया हुंतु मे सिवसुहाण दायया ॥ ३४ ॥ अपरांतिका ॥ एवं तव बलविउलं थुअंमए आजअ संतिजिणजुअलं ॥ ववगयकम्म CCCCCCCCCC Jain Ecation n ational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92