Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 63
________________ ४ पिक्खइ मुक्खं असंखसुक्खं तुह पास ! पसाइण, इय तिहुअणवरकप्परुक्ख ! सुक्खइ कुण मह जिण | है॥२॥ जरजजर परिजुण्णकण्णनडुट्ट सुकुट्टिण, चक्खुक्खीण खएण्ण खुण नर सल्लिअ सूलिण ॥ तुह है | जिण सरणरसायणेण लहु हुंति पुण्णं णव, जय धणंतरि पास ! मह वि तुहं रोगहरो भव ॥ ३॥ वि-| ज्जा-जोइस-मंत-तंत-सिद्धिउ अपयत्तिण, भुवणब्भुउ अट्टविहासद्धि मिज्झइ तुह नामिण ॥ तुह नामिण || | अपवित्तओ वि जण होइ पवित्तओ, तं तिहुअणकल्लाणकोस तुह पास ! निरुत्तओ ॥ ४ ॥ खुद्दपवत्तइ मंत-तंत्त-जंताई विसुत्तइ, चर-थिरगरल-गहुग्गखग्ग रिउवग्ग विगंजइ ॥ दुत्थियसत्थ अणत्थवत्थ || नित्थारइ दयकरि, दुरिअई हरउ सुपासदेव ! दुरिअकरिकेसरि ॥ ५॥ तुह आणा थंभेइ भीम-दप्पु-14 है दुरसुरवर-रक्खस-जक्ख-फणिंदविंद-चोराऽनल-जलहर ॥ जल-थलचारिरउद्द-खुद्दपसु-जोइणि-जोइअ, है है इअ तिहुअणअविलंधिआण जय पास ! सुसामिअ !॥ ६॥ पत्थिअ अत्थ अणत्थ तत्थ भात्तिभर निम्भर, रोमंचंचिअचारुकायाकण्णर-नर-सुरवर ॥ जसु सेवहि कमकमलजुअल पक्खालिअकलिमलु, IP ॐ सो भुवणत्तयसामि पास ! मह मद्दउ रिउबलु ॥ ७॥ जय जोइअमणकमलभसल! भयपंजरकुंजर, ति in Eucation international For Personal & Private Use Only www.ninyong

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