________________
साधुसाध्वी
॥३८॥
RECACASSES
तरह गृहस्थोंके आपसके ईधर उधरके समाचार कहकर आहार ले सो दूसरा दृतीपिंड नामा दोष २, भूत-भविष्य-वर्तमानकाल
प्रतिक्रमण संबंधी लाभ-हानि-सुख-दुःख आदि निमित्त कहकर, आहार लेवें सो तीसरा निमित्तपिंड नामा दोष ३, साधु-साध्वी अपने जाति
कुल-कला-व्यापार वगैरहकी वातें बनाकर आहार लेवें सो चौथा आजीविका पिंड नामा दोष ४, भिक्षारियोंकी तरह आजीजी करके & अथवा ब्राह्मण-सन्यासी वगैरहके भक्तपासे अपनेकोभी उन्होंके परिचय वाले बतलाकर आहार लेवें सो पांचवा वनीपकपिंड नामा
दोष ५, गृहस्थोंको औषधादि उपचार बतलाकर रागीकरके आहार लेवें सो छट्ठा चिकित्सापिंड नामा दोष ६, गृहस्थोंको क्रोधसे विद्याका-मंत्रका-राजाका-पंचोंका-निंदाका या श्रापदेनेका भय बतला कर आहार लेवें सो सातवा क्रोधपिंड नामा दोष ७, साधु अपने समुदायमें प्रतिज्ञा करे कि मैं अमुक घरसे आज अमुक प्रकारका आहार लाचुंगा, ऐसा अभिमानसे कहकर गृहस्थके घर जाकर उसको धमका कर आहार लेना सो आठवा मानपिंड नामा दोष ८, आहारके लिये नये नये रूप बदलकर आहार लेना सो2 | नवमा मायापिंड नामा दोष ९, लोभसे बहुत जगह फिरकर अच्छा २ सरस आहार लेना सो दशवा लोभपिंड नामा दोष१०, गृह| स्थोंके माता-पिता या सासु-श्वसुर वगैरह की प्रसंशाकी बातें सुनाकर आहार लेना सो इग्यारहवा पूर्व-पश्चात् संस्तव नापा दोष ११,
देवी साधनाकी बातें बतला कर या उसकी सिद्धिसे चमत्कार बतलाकर आहार लेना सो बारहवा विद्यापिंड नामा दोष १२, ऐसेही ४ देव साधनकी बातें या चमत्कार से आहार लेना सो तेरहवा मंत्रपिंड नामा दोष १३, ऐसेही वस्तु मिलाकर चूर्ण बनानेकी रीति8 बतलाकर या चूर्ण देकर आहार लेना सो चौदहवा चूर्ण पिंड नामा दोष१४, ज्योतिष वगैरहके योग बतलाकर आहार लेना सो पंद
॥३८॥ रहवा योगपिंड नामा दोष १५, गर्भ उत्पत्तिके, धारणा, स्तंभन, रक्षा, प्रसव वगैरह के प्रयोग बतलाकर आहार लेना सो सोलहवा |
Juin tuction inational
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org