Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari,
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari
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साधुसाध्वी
॥ ३१ ॥
| हुअणजणआणंदचंद ! भुवणत्तयदिणयर ! | जय मइमेइणिवारिवाह ! जय जंतुपिआमह, थंभ अ अ ! पासनाह ! नाहत्तण कुण मह ॥ ८ ॥ बहुविह वन्नु अवन्नु सुष्णु वण्णिओ छप्पणिहि मुक्खधम्म - कामत्थकाम नर नियनियसत्थिहि ॥ जं ज्झायइ बहुदरिसणत्थ बहुनामपसिद्धउ, सो जोड़ अमण| कमलभसल सुह पास पवद्धउ ॥ ९ ॥ भयविव्भलरणजाणिरदसण थरहरिअसरीरय, तरलिअनयण विसुण्ण सुण्ण गग्गिरगिर करुणय || तई सहसात्त सरति हुंति नर नामिअ- गुरुदर, मह विज्झवि सज्झ| सइ पास ! भयपंजरकुंजर ! ॥ १० ॥ पई पास विविअसंतनित्तपत्ततपवित्तिय बाहपवाहपवूढरूढदुह| दाह सुपुलइय || मण्णइ मण्णु सउण्णु पुण्णु अप्पाणं सुर-नर, इय तिहुअणआनंदचंद ! जय पास जिणेसर ! ॥ ११ ॥ तुह कलाण महेसु घंटटंकार वपिल्लिअ, वल्लिरमल्ल महल्लभत्ति सुरवर गंजुल्लिअ ॥ ह ल्लुप्फालअ पंवत्तयति भवणेहि महूसव, इय तिहुअणआणंदचंद ! जय पास सुहुन्भव ॥ १२ ॥ निम्मलकेवल किरणनियर विहुरिअतमपहयर, दंसिअसयलपयत्थसत्य वित्थरिअ पहाभर ॥ कलिकलुसिअजणघूअलोय लोयणह अगोयर, तिमिरइ निरुहय पासनाह भुवणत्तयदिणयर ॥ १३ ॥ तुह समरणजल
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प्रतिक्रमण
सूत्र.
॥ ३१ ॥
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