Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 30
________________ साधुसाध्वी ॥ १४ ॥ | | भोअणं भुंजंते वि अन्ने न समणुजाणामि, जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए कारणं, न क| रेमि, न कारवेमि, करंतं पि अन्नं न समणुजाणामि, तस्स भंते! पडिकमामि, निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि . से राई भोअणे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वओ खित्तओ कालओ भावओ, दव्वओ णं रा | ईभोअणे असणे वा पाणे वा खाइमे वा साइमे वा, खित्तओ णं राईभोअणे समयखि ते, कालओ णं राई भोजणे दिआ वा राओ वा, भावओ णं राई भोअणे तित्ते वा कडुए वा कमाए वा अंबिले वा महुरे वा लवणे वा, रागेण वा दोसेण वा, जंपिय मए इमस्स धम्मस्स केवलिपण्णत्तस्स, अहिंसालक्खण सच्चा हिडिअस्स, विणयमूलस्स, खंतिप्पहाणस्स, अहिरण्णसोवण्णिअस्स, उवसमप्पभवस्त्र, नवबंभचेरगुत्तस्स, अपयमाणस्स, भिक्खावित्तिअस्स, कुक्खिसंबलस्स, निरग्गिसरणस्स, संपक्खालिअस्स, चत्तदोसस्म, गुणग्गाहिअस्स, निव्विआरस्स, निव्वित्तिलक्खणस्स, पंचमहव्वयजुत्तस्स, असंनिहिसंचयस्स, अविसंवाइअस्स, संसारपारगामिअस्स, निव्वाणगमणपज्जव माणफलस्स, पुव्विं अन्नाणयाए, असवणयाए, अबोहियाए, अणभिगमेणं, अभिगमेण वा, पमाणं रागदोसपडिबद्धयाए, बालयाए, मोहयाए, मंदयाए, किड्डड्याए, तिगारवगुरु Jain Education International For Personal & Private Use Only प्रतिक्रमण सूत्र. ॥ १४ ॥ www.jainelibrary.org

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