Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 46
________________ साधुसाध्वी ॥ २२ ॥ सुअं मे आउसंतेणं, भगवया एवमक्खायं, इह खलु छज्जीवणिआ नाम अज्झयणं, समणणं भगवा महावीरेणं, कासवेणं पवेहुआ सु अक्खाया सुपन्नत्ता सेअं मे अहिजिउं अज्झयणं धम्मपन्नत्ती ॥ कयरा खलु साछज्जीवणिआ नामअज्झयणं समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइआ सुअक्खाया सुपन्नत्ता सेअं मे अहिज्जिउं अज्झयणं धम्मपन्नत्ती । इमा खलु सा छज्जीवणिआ नाम अज्झयणं समणेणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेश्या सुअक्खाया सुपन्नत्ता सेअं मे अहिज्जिउं अज्झयणं धम्मपन्नत्ती ॥ तं जहा पुढविकाइआ, आउकाइआ, तेजकाइआ, वाउका आ, वणस्सइकाइआ, तसकाइआ, पुढवि चित्त मंतमखाया अणेगजीवा पुढोसता अन्नत्थ सत्थ परिणएणं, आउ चित्तमंतमक्खाया अनंगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ परिणएणं. तेउ चित्तमंतमवखाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ परिणणं, वाउ चित्तमं तमक्खाया, अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ परिणएणं वणस्सः चित्तमं तमक्खाया, अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थ परिणएणं ॥ तं जहा. अग्गबीआ, मूलबीआ, पोरबीआ, खंधबीआ, बीअरु हा, संमुच्छिमा, तणलधा, वणस्सइकाइआ सबिआ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ Jain Education International For Personal & Private Use Only प्रतिक्रमण सूत्र. ॥ २२ ॥ www.jainelibrary.org

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