Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 50
________________ सूत्र. साधुसाध्वी होता ध्वाला विहेणं मणेणं वायाए कारणं न करेमि न कारवमि करतंपि अन्ने न समणुजाणामि तस्स भंते पडिक्कमामि प्रतिक्रमण ॥ २४॥ निंदाभि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि, छठे भंते वए उवटिओमि सव्वाओ राइभोअणाओ वेरमण॥६॥ इच्चेयाइं पंच महव्वयाई राइभोअणवेरमणछट्टाई अत्तहिअट्ठआए उवपज्जिता णं विहरामि ॥६॥ से भिक्खु वा भिक्खुणी वा संजय विरय पडिहय पच्चक्खाय पावकम्मे दिआवाराओवा एगओवा परिसागओवा सुत्ते वा जागरमाणे वा से पुढविंवा भित्तिं वा सिलं वा लेटुवा ससरक्खं वा कायं ससरक्खं वा वत्थं | हत्थेणं वा पाएणवा कट्टेण वा किलिंचेणवा अंगुलिआए वा सिलागाए वा सिलागहत्येण वा नआलिहिज्जान | विलिहिज्जा न घट्टिज्जा न भिंदिज्जा अन्नं न आलिहाविज्जा न विलिहाविजा न घटाविज्जा न भिंदा विज्जा अन्नं आलिहंतं वा विलिहंतं वा घटुंतं वा भिंतं वा न समणुजाणामि जावजीवाए तिविहं ति१ विहेणं मणणं वायाए कारणं न करोमि न कारवेमि करतंपि अन्ने न ममणुजाणामि तस्सभंते पडिक्क- 2 B/मामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि॥१॥ से भिक्खु वा भिक्खुणी वा संजय विरय पडिहय ॥२४॥ पच्चक्खाय पावकम्मे दिआवा राओ वा एगओ वा परिसागओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा से उदंगं । Join Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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