Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 45
________________ -2CAM X | आसंदी पलिअंकए ॥ गिहतर निसिज्जा अ, गायस्सुव्वट्टणाणि अ॥५॥ गिहिणो वेआवडिअं, जा | + अ आजीववत्तिआ॥ तत्तानिबुडभोइत्तं, आउरस्सरणाणि अ॥६॥ मूलए सिंगबेरे अ, उच्छुखंडे है अ निबुडे ॥ कंदे मूले अ सचित्ते, फले बीए अ आमए ॥ ७ ॥ सोवच्चले सिंघवे लोणे, रोमालोणे अ आमए ॥ सामुद्दे पंसुखारे अ, कालालोणे अ आमए ॥८॥ धुवणत्ति वमणे अ, वत्थीकम्म विरेअणे ॥ Bअंजणे दंतवण्णे अ, गायाभंगविभूसणे ॥ ९॥ सव्वमेअमणाइन्नं, निग्गंथाणं महेसिणं ॥ संजमंमि अ8 | जुत्ताणं. लहभूअविहारिणं ॥ १०॥ पंचासव परिण्णाया, तिगुत्ता छसुं संजया ॥ पंचनिग्गहणा धीरा, राष्ट्र निग्गंथा उज्झुदंसिणो ॥ ११ ॥ आयावयंति गिम्हेसु, हेमंतेसु अवाउडा ॥ वासासु पडिसंलीणा संजया । सुसमाहिआ॥ १२ ॥ परिसहरिउदंता, धूअमोहा जिइंदिआ॥ सब दुक्ख पहीणहा, पक्खमंति महे-18 | सिणो ॥१३॥ दुक्कराई करित्ताणं, दुस्सहाई सहेतु अ॥ केइत्थ देवलोएसु, केइ सिझंति नीरया ॥१४॥ खवित्ता पुवकम्माई, संजमणे तव्वेण अ॥ सिद्धिमग्ग मणुप्पत्ता, ताइणो परिनिव्वुडे ॥ त्ति बेमि ॥१५॥ ४ इति खुडुआयार कहज्झयणं संमत्तं ॥ ३॥ SCAMC-SCREO- Join Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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