Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 29
________________ | जीवाए, अणिस्सिओ हं, नेव सयं परिग्गहं परिगिहिज्जा, नेवन्नेहिं परिग्गहं परिगिहाविज्जा, परि-18 ग्गहं परिगिण्हते वि अन्ने न समणुजाणिज्जा, तं जहा. अरिहंतसक्खिअं, सिद्धसक्खिअं, साहसक्खिअं, देवसक्खिअं,अप्पसक्खिअं, एवंहवइ भिक्खूवा, भिक्खुणीवा, संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खाय-पावकम्मे, | दिआ वा राओ वा, एगओ वा परिसागओ वा, सुत्ते वा जागरमाणे वा, एस खलु परिग्गहस्स वेरमणे, हिए सुहे खमे निस्सेसिए, आणुगामिए, पारगामिए, सव्वेसिं पाणाणं, सव्वेसिं भूआणं, सव्वेसि जीवाणं, * सव्वेसिं सत्ताणं, अदुक्खणयाए, असोअणयाए, अजूरणआए, अतिप्पणयाए, अपीडणयाए, अपरिआवण| याए, अणुद्दवणयाए, महत्थे, महागुणे, महाणुभावे, महापुरिसाणुचिन्ने, परमरिसिदेसिए, पसत्थे, तं दुक्ख| क्खयाए, कम्मक्खयाए, मुक्खयाए, बोहिलाभाए, संसारुत्तारणाए, तिकट्ट, उवसंपज्जित्ता णं विहरामि, & | पंचमे भंते ! महब्बए उवडिओ मि सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं ॥५॥ अहावरे छट्टे भंते ! वए राईभोअणाओ वेरमणं सब्वं भंते! राईभोअणं पच्चक्खामि, से असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा, नेय सयं राईभोअणं भुंजिज्जा, नेवन्नेहिं राईभोअणं भुंजाविज्जा, राई Juin tuction inational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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