Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 39
________________ Jain Education I सुए, समुट्ठाणसुए, नागपरिआवलिआणं, निरयावलिआणं, कम्पिआणं, कप्पवडिंसिआणं, पुष्फिआणं, पुष्पिचूलिआणं, वण्हीयाणं, वहीदसाणं, आसीविसभावणाणं, दिडिविसभावणाणं, चारण सुमिणभावणाणं, महासुमिणभावणाणं, तेअग्गिनिसग्गाणं, सव्वेहिं पि एअंमि अंगवाहिरे कालिए भगवंते, ससुत्ते, सअत्थे, सगंथे, सणिज्जुत्तिए, ससंगहणिए, जे गुणा वा, भावा वा, अरिहंतेहिं, भगवतेहिं, पण्णत्ता वा, परुवीओ वा, | ते भावे सद्दहामो, पत्तिआमो, रोएमो, फासेमो, पालेमो, अणुपालेमो, ते भावे सद्दहंतेहिं, पत्तिअंतेहिं, रोयं| तेहिं, फासंतेहिं, पालंतेहिं, अणुपालंतेहिं, अंतोपक्खस्स जं वाइअं, पढिअं, परिअट्टिअं, पुच्छिअं, अणुपेहिअं अणुपालिअं, तं दुक्खक्खयाए, कम्म क्खयाए, मुक्खयाए, बोहिला भाए, संसारुचारणाए तिकडु, उवसंपज्जित्ताणं विहरामि, अंतोपक्खस्स जं न वाइअं, न पढिअं, न परिअहिअं, न पुच्छिअं, नाणुपहिअं, नाणुपालिअं, संते बले, संते वीरिए, संतेपुरिसक्कारपरिक्कमे, तस्स आलोयमो, पडिक्कमामो निदामो गरिहामो विउमो विसोमो अकरणयाए अब्भुट्ठेमो अहारिहंतवोकम्मं. पायच्छित्तं पडिवज्जमो तस्समिच्छामिदुक्कडं ॥ ६ ॥ नमोतसिं खमासमणाणं, जेहिं इमं वाइअं दुवालसंगं गणिपिडगं भगवंतं, तंजहा, आयारो, सुअगडो, For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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