Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ साधुसाध्वी ॥१५॥ मूत्र. | अन्भुटिओमि सब्वाओ राईभोयणाओ वेरमणं ॥६॥ इच्चेइआई पंचमहव्वयाई राईभोअणवेरमण छट्ठाई प्रतिक्रमण | अत्तहिअट्टाए उवसंपजित्ता णं विहरामि ॥ १॥ अप्पसत्था य जे जोगा,परिणामा य दारुणा॥ पाणाइवायस्स वेरमणे, एस वुत्ते अइक्कमे ॥१॥ति| व्वरागा य जा भासा, तिव्वदोसा तहेव य ॥ मुसावायस्स वेरमणे, एस वुत्ते अइक्कमे ॥ २॥ उग्गहं च। | अजाइत्ता, अविदिन्नेव उग्गहे ॥ अदिन्नादाणस्स वेरमणे, एम वुत्ते अइकमे ॥३॥ सदा रूवा रसा गंधा, 3 | फासाणं पविआरणे॥मेहुणस्स वेरमणे, एस वुत्ते अइक्कमे ॥४॥ इच्छा मुच्छा य गेही अ, कंखा लोभे * अदारुणे। परिग्गहस्स वेरमणे, एस वुत्ते अइक्कमे ॥५॥ अइमत्ते अ आहारे, सूरे खित्तम्मि संकिए ॥ | राईभोयणस्स वेरमणे, एस वुत्ते अइक्कमे ॥६॥ दंसण-नाण-चरित्ते, अविराहित्ता ठिओ समणधम्मे॥ पढमं | | वयमणुरक्खे, विरयामो पाणाइवायाओ॥७॥दसण-नाण-चरित्ते, अविराहित्ता ठिओ समणधम्मे ॥ बीयं | वयमणुरक्खे, विरयामो मुसावायाओ ॥८॥ दंसण-नाण-चरित्ते, अविराहिता ठिओ समणधम्मे ॥ तइयं | वयमणुरक्खे, विरयामो अदिन्नादाणाओ॥९॥ दंसण-नाण-चरित्ते,अविराहित्ता ठिओ समणधम्मे॥ चउत्थं || ॥१५॥ Janication intentional For Personal & Prive Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92