Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 31
________________ * आए, चउक्साओवगएणं पंचिदिअवसट्टेणं, पडिपुण्णभारिआए, सायासुक्खमणुपालयंतेणं, इहं वा भवे, & अन्नेसु वा भवग्गहणेसु वा, राइभोअणं भुत्तं वा, मुंजाविअं वा, भुजतं वा परेहिं समणुनाओ,तं निंदामि, | गरिहामि, तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए कारणं अईअंनिंदामि, पडुप्पण्णं संवरेमि, अणागयं पच्चक्खामि, सव्वं राईभोअणं जावज्जीवाए, अणिस्सिओ हं, नेव सयं राई भुंजिज्जा, नेवन्नेहिं राई भुंजाविज्जा, राइं भुजंते वि अन्ने न समणुजाणिज्जा, तंजहा, अरिहंतसक्खिअं, सिद्धसक्खिअं, साहसक्खिअं,देवसखिअं,अप्पसक्खिअं, एवं हवइ भिक्खू वा,भिक्खुणीवा,संजय-विरय-पडिय-पच्चक्खाय-पावकम्मे,दिआ वा,राओवा, एगओवा परिसागओवा, सुत्ते वा जागरमाण वा, एस खलु,राइभोअणस्स वेरमणे, हिए हिए है सुहे खमे निस्सेसिए आणुगामिए,पारगामिए,सब्वेसिं पाणाणं,सव्वेसिंभुआणं सव्वेसिंजीवाणं,सब्वेसिं सत्ताणं, अदुक्खणयाए, असोअणआए, अजूरणयाए, अतिप्पणयाए, अपीडणयाए, अपरिआवणयाए, अणुद्दव-| | णयाए, महत्थे, महागुणे, महाणुभावे, महापुरिसाणुचिन्ने, परमरिसिदेसिए पसत्थे, तं दुक्खक्खयाए, कम्म-2 क्खयाए, मुक्खयाए, बोहिलाभाए, संसारुत्तारणाए, तिकडु, उवसंपजित्ता णं विहरामि. छट्टे भंते ! वए Juin tuction inational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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