Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 23
________________ | अहावरे तच्चे भंते ! महब्बए अदिन्नादाणाओ वेरमणं, सव्वं भंते ! अदिन्नादाणं पच्चक्खामि, से गामे वा. नगरे वा, अरण्णे वा. अप्पं वा, बहुं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा. अचित्तमंतं वा, नेव सयं अदिन्नं गिण्डिजा, नेवन्नेहिं अदिन्नं गिहाविज्जा, अदिन्नं गिण्हते वि अन्ने न समणुजाणामि. | जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं, वायाए काएणं, न करेमि, न कारवेमि, करंतंपि अन्नं न समणुजाणामि, तस्स भंते ! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि. से अदिन्नादाणे चउब्बिहे | | पण्णत्ते, तं जहा. दवओ खित्तओ कालओ भावओ, दव्वओ णं अदिन्नादाणे गहणधाराणजसु दब्बेसु. 31 खित्तओ णं अदिन्नादाणे गामे वा नगरे वा अरण्णे वा, कालओ णं अदिन्नादाणे दिआ वा राओ वा, | भावओणं अदिन्नादाणे रागेण वा दोसेण वा.जंपिय मए इमस्स धम्मस्स केवलिपन्नत्तस्स,अहिंसालक्खणस्स, है | सच्चाहिट्ठिअस्स, विणयमूलस्स, खंतिप्पहाणस्स. अहिरण्णसोवाण्णियस्स, उवसमप्पभवस्स, नववंभचेरगुत्तस्स, अपयमाणस्स, भिक्खावित्तियस्स, कुक्खिसंबलस्स, निरग्गिसरणस्स, संपक्खालियस्स, चत्तदोसस्स, गुणग्गाहियस्स, निविआरस्स, निवित्तिलक्खणस्स, पंचमहव्वयजुत्तस्स, असंनिहिसंचयस्स, अविसंवाइ RECE%ANAMANCH Januation n ational For Personal & Private Use Only www.painelibrary.org

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