Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari,
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari
View full book text
________________
॥१२॥
धुसाध्वी ध्वी * टिअस्स, विनयमूलस्स, खंतिप्पहाणस्स. अहिरण्णसोवण्णिअस्स, उवसमप्पभवस्स, नववंभचेरगुत्तस्म,अप-5 पतिक्रमण
| यमाणस्स, भिक्खावित्तिअस्स. कुक्खिसंबलस्स, निरग्गिसरणस्म, संपक्खालिअस्म, चत्तदोमस्स. गुणग्गाहिअस्स, निविआरस्म, निवित्तिलक्खणस्स, पंचमहव्वयजुत्तस्स, अमंनिहिसंचयस्स. अविसंवाइअस्म, सं-2 सारपारगामिअस्स, निव्वाणगमणपज्जवसाणफलस्स, पुब्बिं अन्नाणयाए, असवणयाए, अबोहियाए, अण-1 भिगमेणं, अभिगमेण वा, पमाएणं रागदोसपडिबद्धयाए,बालयाए. मोहयाए, मंदयाए, किड्डयाए, तिगार- | | वगुरुआए,चउकसाओवगएणं. पंचिंदिअवसट्टेणं,पडिपुण्णं भारियाए, सायासुक्खमणुपालयंतेणं, इह वा भवे
अन्नेसु वा भवग्गहणेसु, मेहणं सेविअंवा, सेवाविअंवा,सेविज्जंतं वा परेहिं समणुन्नाओ.तं निंदामि, गरिहामि, तिविहं तिविहेणं, मणेणं वायाए काएणं, अईयं निंदामि, पडप्पन्नं संवरेमि, अणागयं पच्चक्खा| मि, सव्वं मेहुणं जावज्जीवाए, अणिस्सिओहं, नेव सयं मेहुणं सेविज्जा, नेवन्नेहिं मेहुणं सेवाविज्जा,मेहुणं | सेवंते वि अन्ने न समणुजाणिज्जा, तं जहा. अरिहंतसक्खिअं, सिद्धसक्खिअं, साहुसक्खिअं, देवसक्खिअं. ४ अप्पप्तक्खिअं, एवं हवई भिक्खू वा भिक्खुणी वा, संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्वाय-पावकम्मे, दिआ
॥१२॥
For Personal Private Use Only

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92