Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 25
________________ जूरणयाए, अतिप्पणयाए, अपीडणयाए, अपरिआवणयाए, अणुद्दवणयाए, महत्थे, महागुणे, महाणुभावे, | महापुरिसाणुचिण्णे, परमरिसिदेसिए, पसत्थे, तं दुक्खक्खयाए, कम्मक्खयाए, मुक्खयाए, बोहिलाभाए, | संसारुत्तारणाए, तिकट्ट, उवसंपज्जित्ता णं विहरामि, तच्चे भंते! महब्वए उवडिओ मि सव्वाओ अदिन्ना| दाणाओ वेरमणं ॥३॥ अहावरे चउत्थे भंते ! महव्वए मेहुणाओ वेरमणं, सव्वं भंते ! मेहुणं पञ्चक्खामि. से दिव्वं वा, मा-14 | गुस्सं वा,तिरिक्खजोणि वा, नेव मयं मेहणं सेविजा, नेवन्नेहिं मेहणं सेवाविजा, मेहुणं सेवंते वि अन्ने । न समणुजाणामि, जावज्जीवाए, तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए कारणं न करोमि, न कारवेमि, करतं पि अन्नं न समणुजाणामि, तस्स भंते ! पडिकमामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि. से मेहुणे : चउबिहे पन्नत्ते, तं जहा. दवओ खित्तओ कालओ भावओ, दव्वओणं मेहुणे रूवेसु वा रूवसहगएसु । वा, खित्तओणं मेहुणे उढलोए वाअहोलोएवा तिरियलोए वा,कालओणं मेहुणे दिआवाराओवा,भावओणं | मेहुणे रागेण वा दोसेण वा, जंपि य मए इमस्स धम्मस्स केवलिपण्णत्तस्स, अहिंसालक्खणस्स, सच्चाहि For Personal Private Use Only

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