Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari,
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari
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आधुसाध्वी
पतिक्रमण सूत्र.
॥११॥
| यस्स, संसारपारगामिअस्स, निव्वाणगमणपज्जवसाणफलस्स, पुब्बिं अन्नाणयाए, असवणयाए, अबोहि- | याए, अणभिगमेणं, अभिगमेण वा, पमाएणं रागदोसपडिबद्धआए, बालआए, मोहयाए, मंदयाए, कि| ड्डयाए, तिगारवगुरुआए, चउक्साओवगएणं, पंचिंदिअवसट्टेणं, पडिपुण्णभारियाए, सायासुक्खमणुपा- 12 | लयंतेणं, इहं वा भवे अन्नसु वा भवग्गहणेसु, आदिन्नादाणं गहिवा , गाहाविरं वा, धिप्पंतं वा परेहिं |
समणुन्नाओ, तं निंदामि गरिहामि तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं, अईअंनिंदामि, पडुप्पण्णं | | संवरेमि, अणागयं पञ्चक्खामि. सव्वं अदिन्नादाणं, जावजीवाए, अणिस्सिओ हं नेव सयं अदिन्नं गि-18 | हिज्जा, नेवन्नेहिं अदिन्नं गिहाविज्जा. अदिन्नं गिण्हते वि अन्न न समणुजाणिज्जा, तं जहा, अरिहंत| सक्खिअं, सिद्धसक्खिअं, साहूसक्खिअं, देवसक्खिअं, अप्पसक्खिअं, एवं हवइ भिक्खू वा, भिक्खुणी वा, | संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खाय-पावकम्मे, दिआ वा राओ वा, एगओ वा परिसागओ वा, सुत्ते वा | जागरमाणे वा, एस खलु अदिन्नादाणस्स वेरमणे. हिए सुहे खमे निस्सेसिए आणुगामिए पारगामिए, | 3| सव्वेसिं पाणाणं, सव्वेसिं भूआणं, सव्वेसिं जीवाणं, सव्वेसिं सत्ताणं, अदुक्खणयाए, असोअणयाए, अ
॥११॥
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