Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

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Page 19
________________ | दिआ वा राओ वा, भावआ णं पाणाइवाए रागेण वा दोसेण वा, पि य मए इमस्म धम्मस्स केवलिपण्णत्तस्म,अहिंसालाखणस्म, मच्चाहिटिअस्म, विणयमूलस्स,खंतिप्पहाणस्स,अहिरण्णसोवाण्णिअस्म, | उवसमप्पभवस्म. नववंभचेरगुत्तस्म, अपयमाणम्स, भिक्खावित्तिअम्म.कुक्खिसंवलम्स. निरग्गिसरणम्स. संपक्खालिअस्म. चत्तदोसम्म, गुणग्गाहिअस्स, निविआरस्स, निवित्तिलक्षणस्म, पंचमहव्वयजुत्तस्स, असंनिहिसंचयम्म. अविसंवाइअस्म, मंमारपारगामिअस्स, निव्वाणगमणपज्जवसाणफलस्स. पुदिव अनाणयाए, अमवणयाए, अबोहिआए. अणभिगमेणं, अभिगमेण वा. पमाएणं रागदोसपडिवद्धआए, बालयाए, मोहयाए, मंदयाए, किड्डयाए, तिगारवगुरुआए, चउक्कसाओवगएणं, पंचिंदिअवसट्टेणं, पडि-४ पुण्णभारिआए, मायामुक्खमणुपालयंतेणं, इहं वा भवे, अन्नेसु वा भवग्गहणेसु पाणाइवाओ कओ वा, काराविओ वा, कीरंतो वा परेहिं समणुन्नाओ, तं निंदामि, गरिहामि, तिविहं तिविहेणं मणेणं, वायाए, कारणं अईअं निंदामि, पडुप्पन्नं संवरेमि, अणागयं पच्चक्खामि. सव्वं पाणाइवायं जावज्जीवाए, अणिस्सिओ हं, नेवसयं पाणे अइवाइज्जा, नेवन्नेहिं पाणे आइवायाविज्जा, पाणे अड्वायंते वि अन्ने न समणु CAMERACAARAK Jain Etc For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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