Book Title: Prakrit Vidya 2002 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 27
________________ पाद-टिप्पणी1. “गवादय एव साधवो न गाव्यादयः इति साधुत्वरूपनियमः।" - (शास्त्रदी. 1/3/27) 2. 'न चापभ्रंशानामवाचकतया कथमर्थावबोध इति वाच्यम्, शक्तिभ्रमवतां बाधकाभावात् । विशेषदर्शिनस्तु द्विविधा:-तत्तद्वाचकसंस्कृतविशेषज्ञानवंत: तद्विकलाश्च। तत्र आद्यानां साधुस्मरणद्वारा अर्थबोध: ।' -(शब्दकौस्तुभ, पृ. 32) 3. 'इत्थं च संस्कृत एव शक्तिसिद्धौ शक्यसम्बन्धस्वरूपवृत्तेरपि तत्रैव भावातत्त्वं साधुत्वम् ।' -वैयाकरणभूषण, पृ. 249) 4. 'शिष्टेभ्य आगमात् सिद्धा: साधवो धर्मसाधनम्।' – (वाक्यपदीय, 1/27) 5. 'तस्माद् ब्राह्मणेन न म्लेच्छित वै नापभाषित वै, म्लेच्छो ह वा एष अपशब्द: ।' -(पातंजल महाभाष्य, पस्पशाह्निक) 6. 'स वाग्वज्री यजमानं हिनस्ति यथेन्द्रशत्रु: स्वरतोऽपराधात् ।' - (पातंजल महाभाष्य, पस्पशाह्निक) 7. देखो, न्यायकुमुदचन्द्र, पृ. 762 । 8. म्लेच्छादीनां साधुशब्दपरिज्ञानाभावात् कथं । तद्विषया स्मृति:, तदभावे न गोऽर्थप्रतिपत्ति: स्यात् ।' -(तत्त्वोपप्लवसिन्धु, पृ. 124) 9. 'विपर्ययदर्शनाच्च ।' – (वादन्यायटीका, पृ. 105) 10. देखो, हेम. प्र. प्राकृतसर्वस्व, प्राकृतचन्द्रिका वाग्भट्टा. टी. 2/2 । . नाट्यशास्त्र 17/2। त्रिविक्रम प्राकृत, पृष्ठ ।। 11. 'प्राकृतेति-सकलजगज्जन्तूनां व्याकरणादिभिरनाहितसंस्कार: सहजो वचनव्यवहारः प्रकृति:, तत्र भवं सैव वा प्राकृतम् । ‘आरिसवयणसिद्धदेवाणं अद्धमग्गहा वाणी' इत्यादिवचनाद्वा प्राक् पूर्वं प्राक्कृतम्, बालमहिलादिसकलभाषानिबन्धनभूतं वचनमुच्यते मेघनिर्मुक्तजलमिवैकस्वरूपं तदेव च देशविशेषात् संस्कारकरणाञ्च समासादितविशेषं सत् संस्कृताद्युत्तरविभेदानाप्नोति । अंत एवं शास्त्रकृता प्राकृतमादौ निर्दिष्टं तदनु संस्कृतादीनि । पाणिन्यादिव्याकरणोदितशब्दलक्षणेन संस्करणात् संस्कृतमुच्यते ।' – (काव्यालंकार रुद्रट, नमिसाधु 2/22) -- (जैनदर्शन', प्रकाशक-श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला 2, 7, पृ. 373-379 ) ** गर्भवती महिलाओं को पालतू जानवरों को पास रखने की मनाही ___म्यूनिख : गर्भवती महिलाओं को अपने पालतू पशु-पक्षियों का आलिंगन करने से बचना चाहिए। उन्हें इन पालतू पशु-पक्षियों के चमड़े और पंखों को खासकर मुँह के आसपास नहीं लगाना चाहिए। एपोथेकेन उम्सशाऊ पत्रिका ने कहा है कि कुत्तों, बिल्लियों, चूहों और घास पर फुदकने वाली चिड़ियों से मनुष्यों में लगभग साठ प्रकार की बीमारियों का संक्रमण हो सकता है। पत्रिका के अनुसार यही सबसे बड़ा कारण है कि ऐसे पालतू पशु-पक्षियों को बिछावन से दूर रखा जाता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि किसी घर में पालतू पशु-पक्षी रखे गए हैं, तो उस घर की गर्भवती महिला को वृद्धजनों के स्वास्थ्य के प्रति विशेष ध्यान देना चाहिए। प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002 0025

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