Book Title: Prakrit Vidya 2002 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust
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31. सु आगम काता - “सुरामि सर्वत:" – (2/1/29)। उदाहरण—सर्वेषाम्, तासाम् । कच्चायन- “सब्बतो नं सासानं" – (2/3/8)। उदाहरण—सब्बेसं, सब्बेसानं ।
32. 'ई आदेश काता - “जस् सर्व इ., अल्पादेर्वा, द्वन्द्वस्थाच्च" – (2/1/30-32)। उदाहरणसर्वे, अल्पे कतरकतमे। .
कच्चायन– “सब्बनामकारते पठमो, द्वन्दट्ठा वा” –(2/3/4-5) । उदाहरण ते, कतरकतमे।
___33. सर्वनामसम्बन्धी कार्यों का निषेध काता- “नान्यत् सार्वनामिकम्, तृतीयासमासे च, बहुव्रीहौ”–(211/ 3335)। उदाहरण—पूर्वापराय, मासपूर्वाय, त्वत्कपितृकः।
कच्चायन- “तयो नेव च सब्बनामेहि, नाझं सब्बनामिक, बहुब्बिहिम्हि च" – (2/1/59: 3/6, 7)। उदाहरण—सब्बस्मा, पुब्बापरानं, पियपुब्बानं ।
34. एकारादेश। कातला- “सम्बुद्धौ.च" – (2/1/ 39)। उदाहरण हे श्रद्धे ! हे माले ! कच्चायन- “घते च" – (211163)। उदाहरण—भोति अय्ये !
35. इकारादेश कातका- “औरिम्” –(211/41)। उदाहरण—श्रद्धे, माले, द्वे। कच्चायन- “योसु द्विन्नं द्वे च" -(2/2/13)। उदाहरण द्वे धम्मा, द्वे रूपानि।
36. 'याम्' आदेश कातका– “डवन्ति यै-यास्-यास्-याम्” – (211142)। उदाहरण—श्रद्धायाम्, मालायाम्। कच्चायन- “घपतो स्मिं यं वा" - (21416) । उदाहरण—गंगायं।
37. 'स्यास्-स्याम्' आदेश काता - “सर्वनाम्नस्तु ससवो इस्वपूर्वाश्च” – (2/1/43)। उदाहरण—सर्वस्या:, सर्वस्याम्। कव्वायन- “घपतो स्मिसानं संसा" -(2/3/19) । उदाहरण—सब्बस्स, सब्बस्सा।
38. अकारलोप कातन्त्र– “अम्शसोरादिलॊपम्” – (2/1/47)। उदाहरण नदीम्, वधूः ।
कच्चायन- “सरलोपोमादेसप्पच्चयादिम्हि सरलोपे तु पकति" - (2/1/32)। उदाहरण—पुरिसं, पापियो। :
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002

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