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9. डॉ. सुषमा सिंघवी-आप कोटा मुक्त विश्वविद्यालय के उदयपुर-संभाग क्षेत्र की निदेशिका हैं। तथा जैनविद्या एवं प्राकृत-वाङ्मय की विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित 'दर्शनशास्त्र अन्तर्मुखी बनाता है और प्रदर्शन बहिर्मुखी' शीर्षक-आलेख आपके द्वारा लिखित है। __ पत्राचार पता—470, ओ.टी.सी. स्कीम, उदयपुर-313001 (राज.)
10. डॉ. कपूरचंद जैन एवं डॉ. ज्योति जैन—जैनदर्शन एवं साहित्य के साथ-साथ सामाजिक चेतना के लिए समर्पित दम्पत्ति। इस अंक में प्रकाशित 'अजातशत्रु भैय्या मिश्रीलाल गंगवाल' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है।
स्थायी पता—संस्कृत विभाग, कुन्दकुन्द जैन महाविद्यालय, खतौली-251201 (उ.प्र.)
11. डॉ. सुदीप जैन–श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में 'प्राकृतभाषा विभाग' में वरिष्ठ उपाचार्य हैं। अनेकों पुस्तकों के लेखक, सम्पादक। प्रस्तुत पत्रिका के मानद सम्पादक' । इस वर्ष आपको प्राकृतभाषा-विषयक 'राष्ट्रपति-सम्मान' (युवा) से सम्मानित घोषित किया गया है। इस अंक में प्रकाशित सम्पादकीय-आलेख एवं पुस्तक-समीक्षाओं आदि के अतिरिक्त जैन-परम्परा में आचार्यत्व' शीर्षक आलेख आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030
12. डॉ. सत देव—आप प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में प्राध्यापक हैं। इस अंक में प्रकाशित 'रोहतक से प्राप्त अप्रकाशित जैन मूर्तियाँ' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। ___ 13. डॉ. वीरसागर जैन—आप हिन्दी भाषा-साहित्य एवं जैनदर्शन के विख्यात् विद्वान् हैं। सम्प्रति आप श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में जैनदर्शन विभाग के अध्यक्ष हैं। इस अंक में प्रकाशित ज्ञान और विवेक' का हिन्दी अनुवाद आपके द्वारा रचित है।
पत्राचार पता- श्री कुन्दकुन्द भारती, कटवारिया सराय, नई दिल्ली-110067
14. अशोक वशिष्ठ भारतीय पत्रकार-जगत् में जाने-माने लेखक और समीक्षक हैं। इस अंक में प्रकाशित 'जगदीश चंद्र बसु' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है।
15. सुनील कुमार सिंह—कनिष्ठ शोध-अध्येता. (भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्), बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर, बिहार विश्वविद्यालय, (दर्शन-विभाग), मुजफ्फरपुर-842001 इस अंक में प्रकाशित 'वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जैनधर्म-दर्शन के अहिंसा-विचार की प्रासंगिकता' शीर्षक आलेख आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—ग्राम-चाँदी, पो. हरौली, जिला-वैशाली-844101 (बिहार)
16. दिलीप धींग—आप अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता एवं कवि हैं। इस अंक में प्रकाशित 'साधक होता द्रष्टा-ज्ञाता' शीर्षक कविता आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—ट्रेड हाउस, दूसरी मंजिल, 26, अश्विनी मार्ग, उदयपुर (राजस्थान)
17. पं. निहालचंद जैन—आप बीना (म.प्र.) में शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं। इस अंक में प्रकाशित लेख 'पर्यावरण-संरक्षण और जैनधर्म' आपके द्वारा लिखित है।
स्थायी पता—शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, क्र. 3, बीना (सागर) म.प्र.। **
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002