Book Title: Prakrit Vidya 2002 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 56
________________ 47. जस्-शस्' प्रत्ययों का लोप . कातला- “कतेश्च जस्-शसोलुंक" -(2/1/76)। उदाहरण—षट्, पञ्च ।। कच्चायन– “पञ्चादीनमकारो" – (2/2/15)। उदाहरण—पञ्च इत्थी, नव जना। 48. ‘ड्' अनुबन्धवती विभक्तियों में नदीवद्भाव कातन्त्र- "इस्वश्च डवति" – (2/2/5) । उदाहरण—श्रियै, भूवै। कच्चायन- “अमा पतो स्मिं स्मानं वा” – (2/1/17) । उदाहरण—मत्यं, मत्या। 49. 'मु आगम तथा 'सि-अम्' का लोप कातला- “अकारादसम्बुद्धौ मुश्च" – (2/2/7) । उदाहरण—कुण्डम्, अतिजरम्। कच्चायन- “सिं" – (2/4/9)। उदाहरण—सब्बं । 50. 'न' आगम तथा 'शि' आदेश कातन्त्र– “धुट्स्वराद् घुटि नुः, जश्शसो: शि:” – (2/2/11, 10) । उदाहरणपद्मानि, पयांसि। कच्चायन– “योनन्नि नपुंसकेहि" – (2/4/7) । उदाहरण—अट्ठीनि, आयूनि । 51. दीर्घ आदेश . कातन्त्र– “समान: सवर्णे दीर्धीभवति परश्च लोपम्, दीर्घमामि सनौ, नान्तस्य चोपधाया:" - (1/2/1; 2/2/15-16)। उदाहरण—अग्नी, अग्नीनाम, पञ्चानाम्। कच्चायन- “योसु कतनिकारलोपेसु दीघं, सुनंहिसु च” –(2/1/37, 38)। उदाहरण—अग्गी, अग्गीनं। 52. न्' की उपधा को दीर्घ काता- “घुटि चासम्बुद्धौ” – (2/2/17)। उदाहरण—राजा, राजानम्। ' कच्चायन- “ब्रह्मत्तसखराजादितो अमानं, योनमानो” – (2/2/28, 30)। उदाहरण—ब्रह्मानं, ब्रह्मानो। 53. मकार-वकारोत्तरवर्ती अकार को दीर्घ काता- “अन्त्वसन्तस्य चाधातो: सौ” – (2/2/20)। उदाहरण—मतिमान्, शीलवान्। कच्चायन- “आ सिम्हि" – (2/215) । उदाहरण—शीलवा, बलवा (आकारादेश)। 54. ए-आय' आदेश । कातला- "घुटि त्वै, ऐ आय्” – (2/2/24; 3/2113)। उदाहरण—सखायौ, सखायः। कच्चायन- “सखातो चायो नो" -(2/3/31)। उदाहरण—सखायो। ____55. 'औ-आव्' आदेश कातला- “गोरौ घुटि औ आव्" – (2/2/33; 1/2/15)। उदाहरण—गावी, गावः । 0054 प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002

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