Book Title: Prakrit Vidya 2002 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 85
________________ अनेक प्रायोगिक-विधियों की खोज की तथा अनेक सूक्ष्म वैज्ञानिक-उपकरणों का आविष्कार भी किया। उन्होंने 1902 में एक अतिसंवेदनशील-यंत्र क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया, जो पौधों की बाढ़ को एक करोड़ गुणा विपुलन कर दिखाता था। जनवरी, 1903 में भारत सरकार ने जगदीश चंद्र बसु को सी.आर.ई. की उपाधि से सम्मानित किया। 1907 में भारत सरकार ने उन्हें इंग्लैंड भेजा। फिर सन् 1912 में उन्हें सी.एस.आई. की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। - जगदीश चंद्र बसु एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। वह भले ही निरंतर विज्ञान की खोजों में लगे रहे, मगर उन्होंने अन्य विषयों और कार्यों को अनदेखा नहीं किया। वह सभा-सम्मेलनों, साहित्यिक कार्यों और कवि-गोष्ठियों में भी भाग लेते थे। इन सबके चलते उन्होंने अनेक लेख और पुस्तकें लिखीं। उनके 80 लेख जर्मनी, फ्रांस और इंग्लैंड की महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। सन् 1902 से 1937 तक उनकी 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थीं। . वे अपने राष्ट्र से बहुत प्रेम करते थे। विदेशों में उन्हें उच्चतम-पदों पर नौकरी मिली, मगर उन्होंने स्वीकार नहीं की। 22 नवम्बर को उन्होंने बस संस्थान की पत्रिका के प्रूफ पढ़े तथा सोने से पहले ग्रामोफोन पर 'जन-गण-मन-अधिनायक' और 'वंदेमातरम' सुना। 23 नवम्बर, 1937 को सुबह स्नानघर में गिरने के कुछ समय पश्चात् देश के इस महान् वैज्ञानिक-सपूत का देहांत हो गया। -(साभार उद्धृत 'नवभारत टाइम्स', रविवार, 10.11.2002, नई दिल्ली) भावना का महात्म्य 'ण करेदि भावणाभाविदो खु पीडं वदाण सव्वेसिं। साहू पासुत्तो समुहदो व किमिदाणि वेदंतो।।' –(भ.आ. 1206, पृ. 6/12) अर्थ :-- भावनाओं से भावित साधु गहरी नींद में सोता हुआ भी अथवा मूच्छित हुआ भी सब व्रतों में दोष नहीं लगाता। तब जागते हुए की बात ही क्या। .. धर्म की महिमा 'धम्मेण होदि पुज्जो, विस्ससणिज्जो पियो जसंसी य । सुहसज्झा य णराणं, धम्मो मणणिबुदिकरो य।।' -(भ.आ. 1852, पृ. 827) अर्थ :- धर्म से मनुष्य पूज्य होता है, सब का विश्ववासपात्र होता है, सब का प्रिय और यशस्वी होता है। मनुष्य धर्म को सुखपूर्वक पालन कर सकते हैं। तथा धर्म से मन को शांति मिलती है। प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002 0083

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