Book Title: Prakrit Vidya 2002 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust
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आभमत
0 'प्राकृतविद्या' का जुलाई-सितम्बर '02 का अंक अपनी अर्जित सर्वतोमुखी प्रसिद्धि के अनुरूप है। इसकी आत्मा में आप अद्भुत ऊर्जा भरते हैं, हार्दिक बधाई। नवता और भव्यता सम्मान्य है ही। प्रोज्ज्वल प्रतिभा और दिव्य श्रम का सातत्य उम्र के मुँहताज नहीं होते। आपको संस्थागत एवं राष्ट्रीयता सम्मानों से विभूषित देख यह तथ्य और भी चरितार्थ होता है। शंकराचार्य, आंग्ल कवि कीट और शैले जवानी की चौखट पर ही चल बसे थे, पर उनकी प्रतिभा ने उन्हें दिक्कालजयी बना दिया। आप साम्प्रदायिक संकीर्णता से परे रहकर ही कार्य करते हैं, यह पुनः स्पृहणीय अर्हता है। शत वसन्त लगें आपको। दिल्ली के श्यामपक्ष से परे रहकर आप जमें, यह पुनः स्मर्तव्य है। -डॉ. रवीन्द्र कुमार जैन, मद्रास **
© 'प्राकृतविद्या' का जनवरी-जून '02 का अंक मिला। आभारी हूँ। आवरण-पृष्ठ पर भगवान् महावीर की दिव्य-प्रतिमा के चित्र ने इसे नयनाभिराम बना दिया है। सारी सामग्री पठनीय, मननीय एवं संग्रहणीय है। भारतीय आस्था के स्वर 'जन-गण-मन' के द्वारा एक नई जानकारी मिली है, आभार। अभी तक मैं भी यही समझता था कि यह गीत गुरुदेव ने जार्ज पंचम के सम्मुख गाया था। इतनी महत्त्वपूर्ण शोधपरक सामग्री के उच्चस्तरीय सम्पादनपूर्वक प्रस्तुतीकरण की गरिमा 'प्राकृतविद्या' के अलावा अन्य किसी जैन-पत्रिका में दृष्टिगोचर नहीं होती। आपके अथक श्रम एवं प्रतिभा का नितनूतन उत्कर्ष 'प्राकृतविद्या' के अंकों में निरन्तर वृद्धिंगत होता परिलक्षित होता है। हार्दिक अभिनन्दन।
___-अरुण कुमार जैन, वरिष्ठ अभियंता, भुवनेश्वर (उड़ीसा) ** 0 प्राकृतविद्या' के अंक बहुत सुचारित खोजपूर्ण एवम् ज्ञानपूर्ण लेखों से प्रकाशित होकर बराबर प्राप्त हो रहे हैं, उसके लिए आपको धन्यवाद । आप एवम् आपकी यह पत्रिका निरन्तर उन्नति करती रहे, ऐसी मंगल भावना रखता हूँ।
__-रूपचन्द कटारिया, रानी बाग, नई दिल्ली ** 0 'प्राकृतविद्या' का जुलाई-सितम्बर 2002 का अंक मिला। आवरण-पृष्ठ पर मुद्रित जैनसमाज के गौरव महापुरुषों के चित्र देखकर हृदय पुलकित हो गया। साथ ही ऐसे सुसमृद्ध व्यक्ति कितने धर्मपरायण और धर्मप्रभावक थे? —यह जानकर विशेष प्रसन्नता हुई। अंक में प्रकाशित सभी आलेख गहन शोधपूर्ण एवम् मननीय हैं, ऐसी उत्कृष्ट सामग्री के लिए हार्दिक साधुवाद। -पं. प्रकाश चन्द्र जैन ज्योतिर्विद, मैनपुरी (उ.प्र.) **
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002

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