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समाचार-दर्शन
दक्षिण भारत जैन सभा का शताब्दी-समारोह सम्पन्न भारतवर्ष की प्रमुख जैन संस्था 'दक्षिण भारत जैन सभा' का शताब्दी-समारोह श्री कुन्दकुन्द भारती के भव्य प्रांगण में दिनांक 22 दिसम्बर 2002 को अत्यन्त गरिमापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस समारोह में परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने जैनसमाज के महापुरुषों की यशोगाथा संक्षेप में बताते हुए यह स्पष्ट किया कि बीसवीं शताब्दी में किन-किन महापुरुषों ने जैनसमाज और परम्परा की रक्षा की, तथा कैसे-कैसे इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों में समाज के नेतृत्व को आपसी मतभेद भुलाकर जैनधर्म के प्रचार-प्रसार के लिए तथा समाज को इतिहास के अनुरूप गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिए मिलजुल कर संगठित प्रयास करने पर जोर दिया। ____ इस समारोह में 'दि रत्नाकर बैंक लि.' के अध्यक्ष डॉ. अन्नासाहब चोपड़े ने भगवान् महावीर के 2600वें जन्मकल्याणक-वर्ष के निमित्त दक्षिण भारत जैनसभा' द्वारा निर्मित की गई 'स्वणविष्टित' एवं 'रजतमयी' भव्य-मुद्राओं का लोकार्पण किया, और रत्नाकर बैंक द्वारा तथा व्यक्तिगत रूप से भी जनहितकारी कार्यों के प्रति समर्पण का संकल्प दोहराया।
. समारोह की अध्यक्षता करते हुए ‘अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी' के अध्यक्ष साहूश्री रमेश चन्द्र जैन ने कहा कि पूज्य आचार्यश्री के पावन सान्निध्य में विगत पचास से भी अधिक वर्षों से यह समाज उन्नति के नए आयाम विकसित करता रहा है, और ऐसे पावन संतों से ही समाज को नई दिशा मिल सकती है।
समारोह में पधारे हुए महानुभावों का भावभीना स्वागत दक्षिण भारत जैनसभा' के वर्तमान अध्यक्ष श्री आर.के. जैन ने किया। तथा कृतज्ञता-ज्ञापन दक्षिण भारत जैनसभा की पूर्व अध्यक्ष धर्मानुरागिणी श्रीमती सरयू दफ्तरी ने किया। स्वागताध्यक्ष श्री चक्रेश जैन बिजलीवालों ने स्वागत-भाषण प्रस्तुत किया, तथा दक्षिण भारत जैनसभा के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने अतिथियों का माल्यार्पण एवं शॉल-समर्पण से अभिनन्दन किया। - सभा के प्रारंभ में श्रीमती शालिनी जैन एवं श्री अरविन्द मुखेडकर के मंगल-भजन हुए, तथा डॉ. वीरसागर जैन ने मंगलाचरण किया। समारोह का गरिमापूर्ण संयोजन एवं संचालन डॉ. सुदीप जैन ने किया। इस कार्यक्रम में दक्षिण भारत जैन सभा' के सदस्यगण तथा दिल्ली जैनसमाज के धर्मानुरागी भाई-बहिन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।–सम्पादक **
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002