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प्राचीन सभ्यता रोती है कर्णधारों पर भगवान् महावीर की जन्मस्थली और
स्मारक की घोर उपेक्षा
देश की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति पर शोध कार्यों के लिए चार दशक पूर्व प्रजातंत्र की जन्मस्थली बिहार के वैशाली में स्थापित 'प्राकृत जैन एवं अहिंसा शोध संस्थान तथा जैनधर्म के 24वें तीर्थकर भगवान् महावीर की जन्मस्थली 'बासोकुण्ड ग्राम' और उनका स्मारक स्थल सरकार की उपेक्षा के चलते बदहाली का दंश झेल रहा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वित्तीय संकट, बदहाली और अन्य समस्याओं से ग्रस्त इस संस्थान का | किसे समझ है वैशाली की । विकास कर इसे
स्वरूप | वैशाली में प्राकत जैन एवं अहिंसा शोध | प्रदान किए जाने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष | संस्थान और 24वें तीर्थकर भगवान महावीर | 1997 में इसका अधिग्रहण किए जाने का | की जन्मस्थली और स्मारक को भूल गए| एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार के मानव । उनके अनुयायी और सत्ता भोगी। संसाधन मंत्रालय को भेजा था, लेकिन पाँच वर्ष बीत जाने के बाद भी अधिग्रहण की निर्धारित प्रक्रिया अभी तक शुरु भी नहीं की जा सकी।
इसी प्रकार इस संस्थान के निकट स्थित जैनधर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान् महावीर की जन्मस्थली 'बासोकण्ड ग्राम' तथा वहाँ स्थित उनके स्मारक स्थल के विकास के लिए पिछले वर्ष केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत 12 करोड़ 43 लाख रुपए की लागत वाली परियोजना पर भी आज तक कोई कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है, जबकि प्रथम-चरण में कार्य शुरू करने के लिए 9 करोड़ 43 लाख रुपए की धनराशि भी आवंटित कर दी गई थी।
सूत्रों ने बताया कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इस संस्थान की स्थापना 23 अप्रैल, 1956 को स्थानीय लोगों द्वारा दान में दी गई 14 एकड़ जमीन में की थी। इसके बाद वर्ष 1984 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. ए.आर. किदवई ने 32 लाख रुपए की लागत पर बनने वाले एक अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास-भवन का शिलान्यास संस्थान-परिसर में ही किया था, लेकिन शिलान्यास के बाद इसके निर्माण कार्य के लिए किसी भी प्रकार का धनराशि का आवंटन नहीं किए जाने से आज तक इसका निर्माण
प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2002
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