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आउ-आकड्य
आउस सक [ आ + क्रुश्] आक्रोश करना, शाप देना, निष्ठुर वचन बोलना । आउस सक [आ + मृश् ] छूना । आउस सक [आ + जुष् ] सेवा करना । आउ न [] कूर्च । क्षुरकर्म ।
आउस देखो आउ = आयुष् । आउस
}
आउसंत
आउस्स देखो आउस = आ + क्रुश् ।
करण
आउस्स पुं [आक्रोश] दुर्यचन, असभ्य वचन | आउस्सिय वि [आवश्यक ] जरूरी । न. मन, वचन और काया का शुभ व्यापार । मोक्ष के लिए प्रवृत्ति ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
वि [आयुष्मत् ] दीर्घायु ।
आउ न [ आयुध] शस्त्र । विद्याधर वंश के एक राजा का नाम । 'घर न [गृह] शस्त्रशाला । 'घरसाला स्त्री [गृहशाला ] देखो अनन्तर उक्त अर्थ । घरिय वि [° गृहिक ] आयुधशाला का अध्यक्ष - प्रधान कर्मचारी | गार न. शस्त्रगृह ।
उहि [ आयुधिन् ] योद्धा, शस्त्रधारक । आऊड अक [दे] जुए में पण करना । आऊडियन [] द्यूत-पण, जुए में की जाती प्रतिज्ञा ।
आऊर सक [आ + पूरय् ] भरना, पूर्ति करना,
भरपूर करना ।
आऊरियवि [ आपूरित] भरा हुआ, व्याप्त । आऊसिय वि [आयूषित ] प्रविष्ट । संकुचित । आज वि [आ] ग्रहण करने के योग्य उपादेय । णाम न ['नामन्] कर्म- विशेष, जिसके उदय से किसी का कोई भी वचन ग्राह्य माना जाता है । आएस वि [ऐष्यत् ] आगामी, भविष्य में
होने
वाला ।
आएस पुं [आदेश] अपेक्षा | प्रकार, रीति । वि. नीचे देखो |
आएस
आएसम
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पुं [आदेश] उपदेश, शिक्षा । आज्ञा, हुकुम । विवक्षा, सम्मति ।
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अतिथि । निर्देश | प्रमाण । इच्छा । दृष्टान्त । सूत्र, ग्रन्थ, शास्त्र । उपचार, आरोप । शिष्टसम्मत ।
आएस देखो आवेस ।
आसण न [आदेशन, आवेशन] लोहा वगैरह का कारखाना, शिल्पशाला । आएसिय वि [आदेशिक] आदेश सम्बन्धी | विवाह आदि के जिमन में बचे हुए वे खाद्यपदार्थ जिनको श्रमणों में बांट देने का संकल्प किया गया हो ।
आओ अ [ दे] अथवा ।
आओ पुं [आयोग ] लाभ । अत्यधिक सूद के लिए करजा देना । परिकर, सरंजाम । अर्थोपार्जन का साधन ।
आओग्ग पुं [आयोग्य ] परिकर, सरंजाम । आओज्ज पुंन [आयोग्य ] बाजा | आओज्ज वि [आयोज्य ] सम्बन्ध-योग्य । आओड सक [आ + खोटय् ] प्रवेश कराना, घुसेड़ना |
आओडण न [आकोलन ] मजबूत करना । आओडिअ वि [ दे] ताडित । आओध अक [ आ + युध् ] लड़ना । आओस क [ आ + क्रुश्, क्रोशय् ] आक्रोश करना, शाप देना ।
आओस पुं [दे] प्रदोष समय, सन्ध्या - काल । आओसणा स्त्री [आक्रोशना ] निर्भर्त्सना, तिरस्कार |
आओहण न [आयोधन ] युद्ध | आंत वि [अन्त्य ] अन्त का ।
आकंख सक [ आ + काङ्क्ष ] इच्छना | आकंद अक [आ + क्रन्द्] रोना, चिल्लाना । आकंप अक [ आ + कम्पू] थोड़ा काँपना | तत्पर होना । आराधन करना । आवर्जन करना । थोड़ा चलना, प्रसन्न करना । आकड्ढ पुं [आकर्ष] खिंचाव | विकढि स्त्री [वकृष्टि ] खींच-तान । आकड्ढिय वि [दे] बाहर निकाला हुआ ।
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