________________
णारायणी-णासा संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
३८१ णारायणी स्त्री [नारायणी] देवी-विशेष, अपने शरीर से चार अंगुल लम्बी लाठी। गौरी, दुर्गा ।
द्यूत-विशेष । खेड्ड न ['खेल] द्यूत-विशेष । णारि° देखो णारी। कंता स्त्री [°कान्ता] °खेड्डा स्त्री [°क्रीडा] एक तरह की द्यूतनदी-विशेष ।
क्रीड़ा। णारिएर , पुं [नारिकेल] नारियल का पेड़। णालिएर देखो णारिएर । णारिएल । न. नारियल या नरियर का फल । णालिएरी स्त्री [नारिकेली] नरियर का देखो णालिअर ।
गाछ। णारिंग न [नारिङ्ग] नारंगी का फल, मीठा णाली स्त्री [नाली] वनस्पति-विशेष, एक नीबू, कमला नीबू ।
लता । घड़ी। द्यूत-विशेष । तीन हाथ और णारी स्त्री [नारी] महिला । नदी-विशेष । सोलह अंगुल लम्बी लट्ठी या लग्गी (बाँस) ।
कंतप्पवायपुं [कान्ताप्रपात] द्रह-विशेष । णाली स्त्री [नाडी] नाड़ी, सिरा । देखो णारि।
णालीय वि [नालीय] नाल-सम्बन्धी । णारुट्ट पुं [दे] कूसार ।
णालीया देखो णालिआ। णारोट्र पुंदे] बिल, साँप आदि का रहने का
णावइ (अप) देखो इव । स्थान. विवर । गर्ताकार स्थान ।
णावण न [दे] दान, वितरण । णाल न [ नाल ] कमल-दण्ड । गर्भ का
णावा स्त्री [दे] प्रसृति, अंजली, परिमाणआवरण ।
विशेष । णालंदइज्ज वि [नालन्दीय] नालन्दा-सम्बन्धी।
णावा स्त्री [नौ] नौका, जहाज । °वाणिय न. नालन्दा के समीप में प्रतिपादित अध्ययन
पुं [°वाणिज] समुद्र मार्ग से व्यापार करने
वाला वणिक् । विशेष, 'सूत्रकृतांग' सूत्र का सातवाँ अध्ययन ।
णावापूरय पुं [दे] चुलुक, चुल्लू । णालंदा स्त्री [नालन्दा] राजगृह नगर का
णाविअ पुं [नापित] हजाम । °साला स्त्री एक मुहल्ला । णालंपिअ न [दे] आक्रन्दित, आक्रन्द-ध्वनि ।
[°शाला] नाइयों का अड्डा । णालंबि पुं[दे] केश-कलाप ।
णाविअ पुं [नाविक मल्लाह । णालय न [नालक] द्यूत-विशेष ।
णास देखो णस्स। णाला ! स्त्री [नाडि] नस, सिरा ।
णास सक [ नाशय ] नाश करना । णालि
णास पुं [नाश] नाश, ध्वंस । 'यर वि णालि स्त्री [नालि] परिमाण-विशेष, अंजली । | [°कर] नाश-कारक । णालि वि [दे] गिरा हुआ।
णास पुं [न्यास] स्थापन । धरोहर या अमाणालिअ वि [दे] मूर्ख, अज्ञान ।
नत, रखने योग्य धन आदि । णालिअर देखो णारिएर । दीव पुं [द्वीप] णासग वि [नाशक] नाश करनेवाला । द्वीप-विशेष ।
णासण न [नाशन] पलायन, अपक्रमण । वि. णालिआ । स्त्री [नालिका] नाल, कमल की नाश करनेवाला । णालिगा ) डण्डी। परिमाण-विशेष, दण्ड,धनुष । णासणा स्त्री [नासना] विनाश । अर्ध मुहूर्त का समय । नली। वल्ली-विशेष । णासव सक[ नाशय नाश करना । भगाना। घटिका, काल नापने का एक तरह का यन्त्र । ' णासा स्त्री [नासा] घ्राणेन्द्रिय ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org