Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
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हक्कार-हत्थ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष
८७९ करना । प्रेरणा करना । खदेड़ना। हण वि [दे] दूर । हक्कार सक [आ +कारय ] पुकारना, हण देखो हणण । आह्वान करना।
"हण देखो धण = धन । हक्कार सक [दे] ऊँचे फैलाना ।
हणण न [हनन] मारण, वध । विनाश । वि. हक्कार पुं [हाकार] युगलिकों के समय की एक
वध-कर्ता । स्त्री. °णी। दण्डनीति । हाँकने की आवाज ।
हणिद देखो हिणिद। हक्किअ वि [A] हाँका हुआ-खदेड़ा हुआ।
हणिहणि ) अ [ अहन्यहनि ] प्रतिदिन । आहूत । प्रेरित । उन्नत । हक्कोद्ध वि [दे] अभिलषित ।
हणिहणि । सर्वथा। हक्खुत्त वि [दे] उत्पाटित, उत्क्षिप्त ।
हणु वि [दे] सावशेष । हक्खुव सक [ उत् + क्षिप् ] ऊँचा करना ।
हणु पुंस्त्री [हनु] चिबुक । °अ, °म, मंत,
यंत पु[°मत्] हनुमान, रामचन्द्रजी का फेंकना । उखाड़ना। हच्चा स्त्रो [हत्या] वध, घात ।
एक प्रख्यात अनुचर, पवन तथा अञ्जनासुन्दरी हट्ट पुं. बाजार । दूकान । °गाई, °गावी स्त्री
का पुत्र । रुह, रूह न. नगर-विशेष । °व,
°वंत देखो भ। ["गवी] कुलटा।
हणुया स्त्री [हनुका] ठुड्डी, दाढ़ी। दंष्ट्राहट्टिगा । स्त्री [हट्टिका] छोटी दूकान ।
विशेष । हटी । हद वि [हृष्ट] हर्ष-युक्त । विस्मित । नीरोग ।
हणू स्त्री [हनू] देखो हणु । शक्तिशाली । जवान, दृढ़ ।
हण्णु हण- हन् का कवकृ. ।
हत्त देखो हय - हत । हट्ट देखो भट्ट ।
हत्तरि देखो सत्तरि। हटमहट्ट वि [दे] नीरोग । दक्ष । स्वस्थ युवा ।
| हत्तु वि [हर्तृ] हरण-कर्ता । हड वि [दे. हत] जिसका हरण किया हो ।
हत्तूण हण = हन् का संकृ. । हडक । (मा) देखो हिअय = हृदय ।
हत्थ वि [दे] शीघ्र । क्रिवि. जल्दी। हडक्क )
हत्थ पुंन [हस्त] हाथ । पु. नक्षत्र-विशेष । हडप्प । पु[दे] ताम्बूल आदि का पात्र ।
चौबीस अंगुल का एक परिमाण । हाथी की हडप्फ ) आभरण का करण्डक ।
सूढ । एक जैन मुनि । °कप्प न [°कल्प] हडहड [दे] प्रेम । ताप ।
नगर-विशेष । 'कम्म न [°कर्मन्] हस्तहडहड पुं. 'हड-हड' आवाज ।
क्रिया, दुश्चेष्टा-विशेष । 'ताड, °ताल पु. हडाहड वि [दे] अत्यर्थ, अत्यन्त ।
हाथ से ताड़न । °पहेलिअ स्त्रीन [ 'प्रहे. हडि पु [हडि] काठ की बेड़ी।
लिक] शीर्षप्रकम्पित का चौरासी लाख गुणा । हड्ड न [दे] अस्थि ।
'प्पाहुड न [प्राभृत] हाथ से दिया हुआ हढ पु [हठ] बलात्कार। जल में होनेवाली | उपहार । °मालय न [°मालक] आभरण
वनस्पति-विशेष, कुम्भी, जलकुम्भी, काई। विशेष । लहुत्तण न [°लघुत्व] हस्त-लाघव । हण सक हिन्] वध करना। अक. जाना, । चोरी । °सीस न [शीर्ष] नगर-विशेष । गति करना ।
भरण न [°ाभरण] हाथ का गहना। हण सक [श्रु] सुनना।
| °ायाल पु [ताड] देखो °ताड । लंब
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