Book Title: Prakrit Hindi kosha
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad

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Page 897
________________ ८७८ सोहल वि [ शोभावत् ] शोभा-युक्त । सोहा स्त्री [शोभा ] दीप्ति | छन्द - विशेष | सोहाव सक [शोधय् ] सफा कराना । सोहि स्त्री [ शुद्धि शोध ] निर्मलता । आलो चना, प्रायश्चित्त । संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सोहि वि [ शोधिन् ] शुद्धि-कर्त्ता । सोहि वि [शोभिन्] शोभनेवाला । सोहि पुंस्त्री [] भूतकाल | भविष्यकाल | सोहिअ न [ दे] पिष्ट, आटा । ह पुं. कंठ स्थानीय व्यञ्जन वर्ण- विशेष । अ इन अर्थों का सूचक अव्यय - सम्बोधन | नियोग । क्षेप, निन्दा | निग्रह | प्रसिद्धि । पदपूर्ति ह देखो हा = अ । इस्त्री [हृति] वध, मारण । हं अ. [हम् ] इन अर्थों का सूचक अव्यय - क्रोध । असम्मति । हंजय पुं [दे] शरीर-स्पर्श-पूर्वक किया जाता शपथ - सौगंध । हंजे अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय - - दासी का आह्वान | सखी का आमन्त्रण । हंड देख खंड | 'हंडण देखो भंडण | हंत देखो हंता । हंता हण का संकृ. 1 हंता अ [ हन्त ] इन अर्थों का सूचक अव्यय - अभ्युपगम, स्वीकार । कोमल आमन्त्रण । वाक्य का आरम्भ । प्रत्यववारण | संप्रेषण । खेद । निर्देश । हर्ष । अनुकम्पा । सत्य | तु वि [ह] मारनेवाला । हंदि अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय - विषाद | विकल्प | पश्चात्ताप । निश्चय । सत्य । 'ग्रहण करो' | आमन्त्रण, सम्बोधन । उपदर्शन । Jain Education International ! | सोहिद देखो सोहद | सोहिल्ल वि [शोभावत् ] शोभा-युक्त । सौंअरिअ न [सौन्दर्य ] सुन्दरता । सौअरिअ देखो सोअरिअ = सौन्दर्य | सौह देखो सउह = सौध | 'स्स देखो स = स्व | "स्सास देखो सास = श्वास | "स्सिरी देखो सिरी = श्री | "स्सेअ देखो सेअ = स्वेद | ह सोहल-हक्क हंभो देखो हो । हंस देखो हस्स = ह्रस्व | मेरु हंस पुं. पक्षि-विशेष । धोवी । संन्यासि - विशेष | सूर्य । मणि-विशेष । छन्द का एक भेद । निर्लोभी राजा । विष्णु । परमेश्वर 1 मत्सर । मन्त्र - विशेष | शरीर स्थित वायु की चेष्टा विशेष । पर्वत । शिव | अश्व की एक जाति । श्रेष्ठ । अगुआ । विशुद्ध | मन्त्र-वर्ण- विशेष | पतंग, चतुरिन्द्रिय जन्तु - विशेष । 'गब्भ पुं [] रत्न की एक जाति । 'तली स्त्री. बिछौने की गद्दी । द्दीव पुं [द्वीप ] द्वीप - विशेष । 'लक्खण वि [लक्षण] सफेद । विशद, निर्मल । हंसय पुंन [हंसक ] नूपुर । हंसल पुं [दे] आभूषण - विशेष । हंसी स्त्री. छन्द का एक भेद । हंसुलय पुं [हंस ] अश्व की एक उत्तम जाति । हो अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय - संबोधन, आमन्त्रण | तिरस्कार । दर्प । दंभ, कपट । प्रश्न । हकुव न. फल- विशेष । हक्क सक [नि + षिध् ] निषेध करना, निवारण करना | हक्क सक [दे] हाँकना - पुकारना, आह्वान For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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