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मंग-मंड संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
६३७ भगवान् महावीर का शिष्य था। मंगल्ल वि [मङ्गल्य, माङ्गल्य] मंगलकारी। मंग सक [मङग ] जाना । साधना । जानना। मंगी स्त्री [ मङ्गी ] षडज ग्राम की एक मंग पुं [ मङ्ग] धर्म | रंग के काम में आता मूर्च्छना। एक द्रव्य ।
मंगु पुं [मङगु] जैन आचार्य आर्यमगु । मंगइय देखो मगइय ।
मंगुल न [दे] अनिष्ट । पाप । पुं. चोर । वि मंगरिया स्त्री [दे] वाद्य-विशेष ।
असुन्दर । मंगल पुं [मङ्गल] अंगारक ग्रह । न. कल्याण, | मंगुस पुं [दे] नकुल, भुजपरिसर्प-विशेष । शुभ,क्षेम,श्रेय । विवाह सूत्र-बन्धन । विघ्न-क्षय। | मंच पुं [दे] बन्ध । विघ्नक्षय के लिए इष्टदेव-नमस्कार आदि शुभ | मंच पं[ मञ्च ] मचान, उच्चासन । गणितकार्य । विघ्न-क्षय का कारण । प्रशंसावाक्य ।। ___ शास्त्र का तीसरा योग, जिसमें चन्द्रादि इष्टार्थ-सिद्धि । आयंबिल तप । आठ दिनों का
मंचाकार से रहते हैं । °ाइमंच {[°ातिमञ्च उपवास । वि. इष्टार्थ-साधक । °ज्झय पुं
मचान के ऊपर का मंच । गणित-प्रसिद्ध एक ["ध्वज] मांगलिक ध्वज । "तूर न ["तूर्य] | योग जिसमें चन्द्र, सूर्य आदि नक्षत्र एक दूसरे मंगल-वाद्य । °दीव पुं [ °दीप ] मन्दिर में
के ऊपर रक्खे हुए मंचों के आकार से अवआरती के बाद किया जाता दीपक । पाढय |
स्थित होते हैं। पुं [ °पाठक ] मागध । पाढिया स्त्री |
मंची स्त्री [मञ्चा] खटिया, खाट । [°पाठिका] देवता के आगे सुबह और सन्ध्या
मंछुडु (अप) अ [मक्षु] शीघ्र । में बजाई जाती वीणा।
मंजर पुं [मार्जार] मंजार, बिल्ला, बिलाव । मंगल वि [दे] समान । न. अग्नि । डोरा
मंजरि स्त्री [मनरि] देखो मंजरी। बुनने का एक साधन । वन्दनमाला । मंजरिअ वि [मञ्जरित] मञ्जरी-युक्त । मंगलग पुन [मङ्गलक] स्वस्तिक आदि आठ
मंजरिआ । स्त्री [मञ्जरिका, °री] नवोत्पन्न मागलिक पदार्थ ।
मंजरी सुकुमार पल्लवाकार लता, बौर । मंगलसज्झ न [दे] वह खेत जिसमें बीज बोना
गुंडी स्त्री [गुण्डी] वल्ली-विशेष । बाकी हो।
मंजार देखो मंजर। मंगला स्त्री [मङ्गला] भगवान् श्रीसुमतिनाथ | मंजिआ स्त्री [दे] तुलसी । की माता ।
मंजिट्ट वि [माञ्जिष्ठ] मजीठ रंगवाला । मगलालया स्त्रा [मङ्गलालया। एक नगरा। मंजिट्ठा स्त्री [मञ्जिष्ठा] मजीठ, रंग-विशेष । मंगलावइ पुं [मङ्गलापातिन्] सौमनस पर्वत मंजीर न [मञ्जीर] नूपुर । छन्द-विशेष । का एक कूट।
मंजीर न [दे] साँकल, जंजोर, सिकड़ । मंगलावई स्त्री [मङ्गलावती] महाविदेह वर्ष मंजु वि [मञ्ज] सुन्दर । कोमल । इष्ट । का एक विजय, प्रान्त विशेष ।
मंजुआ स्त्री [दे] तुलसी। मंगलावत्त पुं [मङ्गलावर्त] महाविदेह वर्ष का मंजुल वि [मञ्जुल] रमणीय, मधुर । कोमल ।
एक विजय, प्रान्त-विशेष । देव-विशेष । न. मंजुसा । स्त्री [मञ्जूषा] विदेह वर्ष की एक एक देव-विमान । एक शिखर ।
मंजूसा ) नगरी । छोटी संदूक । मंगलिअ । वि [माङ्गलिक] मंगल-जनक । मंठ वि [दे] लुच्चा, बदमाश । पुं. बन्ध । मंगलीअ ) प्रशंसा-वाक्य बोलनेवाला। मंड सक [मण्ड] भूषित करना, सजाना ।
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