________________
६८० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
रायंस-रिछोली रायस पु [राजास] क्षय की व्याधि । राहा स्त्री [ राधा ] वृन्दावन की रायगइ स्त्री [दे] जलौका, जोंक ।
राहिआ प्रधान गोपी, श्रीकृष्ण की रायग्गल पु[राजार्गल]ज्योतिष्क ग्रह-विशेष । । | राही ) पत्नी। राधावेध में रखी जाता रायणिअ देखो राइणिअ = रात्मिक । पुतली । शक्ति विशेष । कर्ण की पालक माता। रायणी स्त्री [राजादनी] खिरनी का पेड़। °मंडव पुं["मण्डप] जहाँ पर राधावेध किया रायण्ण देखो राइण्ण।
जाय । °वेह पुं [ वेध] एक वेध-क्रिया, रायनीइ स्त्री [राजनीति शासन की रीति । | जिसमें चक्राकार घूमती पुतली की वाम चक्षु रायमइया स्त्री[राजीमतिका]देखो राईमई ।। बींधी जाती है । स्त्री [राधिका] । रायस देखो राजस।
| राहु . ग्रह-विशेष। कृष्ण पुद्गल-विशेष । रायाण देखो राय = राजन् ।
पहली शताब्दी के एक जैन आचार्य । राल । पुन [°क] धान्य-विशेष, एक राहहय न [राहहत] जिसमें सूर्य और चन्द्र रालग ) प्रकार की कंगु ।
का ग्रहण हो वह नक्षत्र । राला स्त्री [दे] प्रियंगु, मालकांगनी । | राहेअ पुं [राधेय] राधा पुत्र, कर्ण । राव सक [दे] आर्द्र करना ।
रि अ [रे] संभाषण-सूचक अव्यय । राव देखो रंज = रञ्जय ।
रि सक [ऋ] गमन करना । राव सक [रावय]पुकारना, आह्वान करना । | रिअ सक [री] गमन करना। राव पं. कलकल । पुकार, आवाज ।
रिअ सक [प्र + विश्] प्रवेश करना। रावण पुं. एक लंकापति । गुल्म-विशेष । रिअ न [ऋत] गमन । सत्य । राविअ वि [दे] आस्वादित ।
रिअ वि [दे] काटा हुआ। रास पुं. एक नृत्य, जिसमें एक दूसरे का हाथ | रिउ देखो उउ । पकड़ कर नाचते गाते मंडलाकार फिरना रिउ वि [ऋज] सरल । न. विशेष पदार्थ । होता है।
"सुत्त पुं [ सूत्र ] नय-विशेष । देखो रासभ देखो रासह।
उज्जु । रासह पुंस्त्री [रासभ) गभ । स्त्री. ही।
| रिउ पुं [रिपु] शत्रु । °महण पुं [°मथन रासाणंदिअय न [रासानन्दितक] छन्द- राक्षस-वंश का राजा। विशेष ।
रिउ स्त्री [ऋच्] वेद का नियत अक्षरवाला रासालुद्धय पुं [रासालुब्धक] छन्द-विशेष । अंश । °व्वेय पुं [ वेद] एक वेद-ग्रन्थ । रासि देखो रस्सि।
रिख अक [रिङ्ख] सर्पण या गति करना । रासि पुंस्त्री [राशि] समूह । ज्योतिष्क की । रिंग देखो रिग । बारह राशि । गणित-विशेष ।
रिंगणी स्त्री [दे] वल्ली-विशेष, कण्टकारिका । राह पुं [राध] वैशाख मास । वसन्त ऋतु ।। रिंगिअ न [दे] भ्रमण । एक जैन आचार्य।
रिंगिअ न [रिङ्गित] कच्छप की तरह हाथ राह पुं [दे] दयित, प्रिय । वि. निरन्तर। के बल रेंगना । गुरु-वन्दन का एक दोष । शोभित । सनाथ । पलित । रुचिर। रिंगिसिया स्त्री [दे] वाद्य-विशेष । राहअ । पुं [राघव] रघुवंश में उत्पन्न । रिछ (अप) देखो रिच्छ = ऋक्ष । राहव ) श्रीरामचन्द्र ।
| रिछोली स्त्री [दे] पंक्ति, श्रेणी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org